नई दिल्ली: साल 1973-74 के बजट को ‘ब्लैक बजट’ के नाम से जाना जाता है, जो भारत सरकार (Indian government) द्वारा पेश किया गया था. साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan war), खराब मॉनसून और आर्थिक संकट के कारण देश में कई समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं. इस संकट के समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत गंभीर थी और सरकार को विशेष उपायों की आवश्यकता थी. उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण (The then Finance Minister Yashwant Rao B. Chavan) के पास देश के विकास की रूपरेखा तैयार करने वाला बजट पेश करने की जम्मेदारी थी. कहा जाता है कि उस समय देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कठिन और सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता थी. इसके लिए, उन्होंने ‘ब्लैक बजट’ को प्रस्तुत किया, जिसमें देश के लिए आवश्यक बदलावों का सुझाव दिया गया.
इस बजट में योजनाएं शामिल थीं जो सीधे रूप से आर्थिक सुधार को टार्गेट करने के लिए बनाई गई थीं. इसने सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रतिबद्ध उपायों का समर्थन किया और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कठिन निर्णयों को लेने का प्रयास किया. तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण ने बजट भाषण में बताया कि देश में सूखे और खाद्यान्न उत्पादन में कमी के कारण बजट में 550 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है.
इसलिए, इसे ‘ब्लैक बजट’ कहा गया है और यह एक चुनौतीपूर्ण समय में देश के सामूहिक और आर्थिक हित के लिए कठिन निर्णयों का परिचायक बन गया. यह बजट एक बार ही पेश किया गया, उसने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लिए योजनाएं बनाई और देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की कोशिश की. सरकार ब्लैक बजट तब पेश करती है, जब उसकी इनकम में कमी होती है और खर्चें बढ़ जाते हैं. इसे उदाहरण से समझें तो मान लीजिए आपकी कमाई 1 रुपया है और आप 1.5 रुपए खर्च कर रहे हैं. ऐसे में आपके ऊपर हर बार 50 पैसे का कर्ज बढ़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति जब सरकार के साथ होती है तब वह अपने खर्चे कम करती है और बजट को बैलेंस करने के लिए जरूरी कदम उठाती है.
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