मुंबई। महाराष्ट्र चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ऐतिहासिक जीत पर भगवा पार्टी में खुशी का माहौल है, लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) के लिए संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी ने जिस तरीके से बड़ी संख्या में सीटें जीती हैं, उसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के लिए भाजपा की दावेदारी को और मजबूत कर दी है।
बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपने अब तक के सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के साथ चुनावी मैदान में बाजी मारी है। पार्टी अपने दम पर बहुमत के 145 सीटों के आंकड़े से महज 13 सीटें दूर रही। इस शानदार प्रदर्शन के बाद बीजेपी में यह सवाल फिर से उठने लगा है कि क्या पार्टी अपने सबसे बड़े नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि तीनों दल मिलकर जल्द ही इस मुद्दे पर बात करेंगे। लेकिन बीजेपी के अंदर से यह संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी की जीत ने नेतृत्व को लेकर पुनः विचार करने की जरूरत पैदा कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को “परम मित्र” कहकर उनकी पोस्ट-विक्ट्री जश्न में सराहना की। पीएम मोदी के इस बयान के भाजपा के अगले कदम से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा की इस दावेदारी के समर्थन में अजित पवार भी सामने आ सकते हैं। वह शायद फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में देखना अधिक सुविधाजनक समझेंगे।
शिंदे गुट ने बीजेपी की बढ़ती महत्वाकांक्षा को भांप लिया और इस पर नाराजगी जाहिर की। सीएमओ से जुड़े एक सूत्र ने कहा, “शिंदे ने एक ऐसी सरकार चलाई जो विकास में सफल रही, विधायकों को फिर से चुनाव में अपनी संभावनाओं को सुधारने में मदद की और ‘लड़की बहन योजना’ जैसी अत्यधिक लोकप्रिय योजनाएं शुरू कीं।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि शिंदे ने MVA सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “हमें वादा किया गया था कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा।”
मुख्यमंत्री शिंदे के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं, क्योंकि बीजेपी के विशाल जीत के साथ और अजित पवार के बीजेपी से गठबंधन करने की संभावना के बीच नेतृत्व को लेकर दबाव बढ़ गया है। इसके अलावा, कांग्रेस, NCP (SP) और शिवसेना UBT के छोटे-छोटे गुटों में भी विभाजन की संभावना बनी हुई है।
बारामती और मुंबई में बीजेपी की बढ़ती शक्ति और शिंदे के सामने नेतृत्व के मुद्दे पर आ रही चुनौतियां राज्य की राजनीति में एक नए मोड़ की ओर इशारा कर रही हैं।
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