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राहुल की यात्रा के बाद अब बदलेगी भाजपा की रणनीति

December 05, 2022

  • भाजपा के बड़े नेताओं को भी दबी जुबान में मानना पड़ा….राहुल ने सोचने पर मजबूर कर दिया
  • कारवां गुजर गया….राजनीतिक सवाल छोड़ गया

इंदौर, संजीव मालवीय। राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में यात्रा के दौरान कोई बड़ा राजनीतिक हमला भाजपा पर नहीं किया। उन्होंने जिस हिसाब से साफ्ट हिन्दुत्व पर फोकस कर भाजपा की धर्म की राजनीति पर हमला किया तो सबसे ज्यादा उन्होंने खुद की ही कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर नेताओं से लगातार बातें की और प्रदेश की राजनीति के दो ध्रुव को एकसाथ रखकर बता दिया कि 2023 और 2024 में कांग्रेस किसी प्रकार का कोई जोखिम अंदरूनी राजनीति में नहीं लेना चाहती है। राहुल के प्रतिपल प्रदेश में बढ़ते कदम पर निगाह रख रही भाजपा की टीम भी अब आगामी चुनाव को लेकर अपनी रणनीति में परिवर्तन कर सकती है।

भले ही बाहरी तौर पर कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा में फर्क नहीं पडऩे वाला है, लेकिन बड़े नेता दबी जुबान में मान रहे हैं कि अभी तक विधानसभा के लिए प्रदेश को खाली मैदान मान रहे नेताओं को अपनी योजना में तो परिवर्तन करना ही पड़ेगा। राहुल की गलतियों को पकडऩे के लिए भाजपा की आईटी सेल भी पीछे लगी थी, लेकिन वह भी कुछ खास नहीं कर पाए। ये कहे कि छिटपुट बयानों के हमलों के बीच से राहुल अपने आपको मध्यप्रदेश जैसे राज्य से बचा ले गए और किसी विवाद में नहीं पड़े।

साफ्ट हिंदुत्व पर फोकस
राहुल गांधी के गैरहिन्दू होने पर भाजपा लगातार हमलावर रही है, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने जिस तरह से साफ्ट हिन्दुत्व का संदेश दिया है, उससे भाजपा की हिन्दूवादी छवि पर जरूर झटका तो लगेगा।


युवाओं में लोकप्रिय
राहुल गांधी के आसपास युवाओं का लवाजमा बता रहा है कि वे युवाओं की पसंद बनते जा रहे हैं। उनकी यात्रा में भारत पदयात्री के रूप में भी अधिकांश युवाओं ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया। वे युवाओं के बीच अपनी बात कहने में भी कामयाब रहे।

प्रदेश के दोनों ध्रुव आए दाएं-बाएं
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति के दो धु्रव कमलनाथ और दिग्विजयसिंह के रूप में ही बने हुए हैं। इन दोनों ध्रुवों को प्रदेश यात्रा के दौरान दाएं-बाएं लेकर चलना, राहुल की दूरदर्शी रणनीति का हिस्सा है। प्रदेश में विधनसभा चुनाव कमलनाथ के चेहरे पर ही लड़ा जाना है, इसलिए भी राहुल अब नहीं चाह रहे हैं कि यहां फिर से कोई गुटबाजी पनपे, जिससे सत्ता की कुर्सी तक जाने की राह कठिन हो जाए।

विदेश में भले ही पढ़ाई की, लेकिन संस्कृति का ज्ञान
राहुल गांधी ने यह भी बता दिया कि उन्होंने भले ही विदेश में पढ़ाई की है, लेकिन उन्हें अपने देश की संस्कृति का पूरा ज्ञान है। वे यह भी कहते नहीं चुके कि भाजपा ने उनकी छवि बिगाडऩे के लिए करोड़ों खर्चा कर दिए, फिर भी कुछ नहीं कर पाए।

आखिर में दिमाग में छोड़ गए कई सवाल
राहुल गांधी अपनी यात्रा में इस तरह रम गए हैं कि वे खुद कह रहे हैं कि अब वे पीछे मुडक़र नहीं देखना चाहते हैं। उनकी यात्रा का जो मकसद था, वो पूरा हो गया है और वे अब हर किसी के दिमाग में हैं। यह भी सही है कि राहुल गांधी ने इस देश में कांग्रेस को चर्चा का विषय तो बना ही दिया।

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