अगरतला । त्रिपुरा नगर निकाय चुनावों (Tripura civic polls) में बीजेपी (BJP) ने शानदार प्रदर्शन (Splendid Performance) किया है। त्रिपुरा की 13 लोकल बॉडी (13 local body) में बीजेपी आगे चल रही है। 20 लोकल बॉडी में से 7 पर बीजेपी पहले ही निर्विरोध (7 Unopposed) जीत चुकी (Won) है।
त्रिपुरा में आज नगर निकाय चुनावों के नतीजे आज घोषित किए जा रहे हैं। 334 सीटों में से 112 सीटों पर बीजेपी निर्विरोध पहले ही जीत चुकी है। 222 सीटों पर वोटों की गिनती हो रही है। त्रिपुरा में 25 नवंबर को नगर निकाय चुनावों के लिए वोटिंग हुई थी। तकरीबन पांच लाख वोटर्स में से 81.54 फीसदी ने वोट डाला था। अगरतला नगर निगम में भी बीजेपी सभी 51 सीटों पर आगे चल रही है। आमबासा नगर निकाय की 15 में से 12 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। टीएमसी और माकपा को 1-1 सीट ही मिल सकी है। इससे टीएमसी का खाता खुल गया है।
भाजपा ने रविवार को कहा कि त्रिपुरा नगर निकाय चुनाव के परिणामों ने पूर्वोत्तर राज्य में पैठ जमाने के तृणमूल कांग्रेस के दावों के खोखलेपन को उजागर कर दिया है। राज्य के लोगों को भाजपा पर भरोसा है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने त्रिपुरा में चुनाव प्रचार करने वाले तृणमूल कार्यकर्ताओं को किराए के लोग बताया और कहा कि भाजपा और राज्य के लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि तृणमूल त्रिपुरा में अपना खाता तब तक नहीं खोल सकती जब तक भाजपा किसी सीट से उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला न कर ले। नगर निकाय चुनाव के परिणाम उम्मीद के अनुसार आए हैं।
उधर, विपक्षी दलों ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया। इन चुनावों में बीजेपी, टीएमसी और माकपा के बीच लड़ाई हो रही है। टीएमसी ने इन चुनावों पर रोक लगाने की मांग की थी। माकपा ने उसके सुर में सुर मिलाया था। दोनों ही पार्टियों ने पुलिस, चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि बीजेपी की इनसे सांठगांठ हो गई है।
गौरतलब है कि त्रिपुरा चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। कोर्ट ने मतदान के दौरान सुरक्षाबलों को पर्याप्त संख्या तैनात करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तृणमूल के दो आवेदनों को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में अशांत माहौल है। उम्मीदवारों को भी मतदान नहीं करने दिया गया। हिंसक घटनाएं हुईं। यहां तक कि मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हुआ है। लेकिन कोर्ट ने चुनाव को टालने से साफ इनकार कर दिया था।
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