भोपाल। चुनावी साल में भाजपा ने जिलों में नई जमावट के तहत 20 जिलाध्यक्षों को बदल दिया है। लेकिन जिन लोगों को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है वे पुरानी टीम के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। इस कारण नए जिलाध्यक्षों ने संगठन से नई टीम बनाने की इच्छा जाहिर की है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश संगठन जिलाध्यक्षों की मांग पर विचार कर रहा है। संभावना जताई जा रही है कि नए जिलाध्यक्षों का जल्द ही नई टीम बनाने की अनुमति मिल सकती है। वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी रणनीति के तहत भाजपा संगठन में अभी और सर्जरी हो सकती है। विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर 20 जिलाध्यक्ष बदल दिए गए हैं और कुछ बदलने की
ेतैयारी है। दरअसल, भाजपा का पूरा फोकस इस बात पर है कि बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पार्टी पूरी एकजुटता के साथ चुनाव कार्य में जुटे। इसलिए पार्टी अपने सभी नेताओं को काम पर लगाना चाहती है। भोपाल से आला नेतृत्व ने 20 जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। अब सिर्फ निगम-मंडलों में नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा है। नेतृत्व का मानना है निगम मंडल में घोषणा के बाद अगर कोई असंतुष्ट होगा तो उसे जिला कार्यकारिणी में स्थान दिया जाएगा। इससे चुनावी वर्ष में सत्ता और संगठन का समन्वय बना रहेगा। सूत्रों का कहना है की सारे समीकरणों को देखते हुए प्रदेश संगठन जल्द ही जिलाध्यक्षों को अपनी टीम बनाने की हरी झंडी दे सकता है।
कई जिलों में विवाद की स्थिति
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने पिछले कुछ महीनों में 20 जिलों के जिलाध्यक्ष बदल दिए हैं। लेकिन ये जिलाध्यक्ष पुरानी टीम के साथ समन्वय नहीं बना पा रहे हैं। कुछ जिलाध्यक्ष पुराने पदाधिकारियों से काम नहीं ले रहे हैं। इसके चलते कई जिलों में विवाद की स्थिति बन गई है। समानांतर अपने समर्थकों से संगठन का काम करवा रहे हैं। अब ये जिलाध्यक्ष अपनी मर्जी से नई टीम बनाना चाहते हैं। इससे प्रदेश स्तर से लेकर नीचे तक संगठन में अफरा-तफरी की स्थिति है। अब कई जिलों में अध्यक्षों को बदले जाने का दबाव बनाया जा रहा है। जिन नेताओं को कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के लिए भेजा गया था, उनके सामने ही विवाद की स्थिति बन गई। इधर चुनाव से ठीक पहले संगठन की कमजोर स्थिति से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी चिंतित है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चुनावी वर्ष में भाजपा के सामने एक के बाद एक नई-नई परेशानियां सामने आ रही हैं।
बदलाव के साथ शुरू हुई सियासत
जिलाध्यक्षों को बदले जाने के साथ ही प्रदेश भाजपा में सियासत तेज हो गई है। कहीं नए जिलाध्यक्षों का विरोध हो रहा है तो कहीं नए जिलाध्यक्ष पुरानी टीम के साथ समन्वय नहीं बना पा रहे हैं। इस पर भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि 51 फीसदी वोट शेयर के लिए संगठन इन दिनों पूरे प्रदेश में जी-जान से जुटा हुआ है। क्योंकि, इस साल में ही चुनाव है। भाजपा अब पूरे तरीके से चुनावी मोड में है। यही कारण है कि अभियानों में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों को बदलने से पार्टी नहीं चूकेगी। भाजपा संगठन में समय-समय पर कार्यकर्ता की भूमिका के अनुसार उसकी जिम्मेदारी तय की जाती है। वहीं अभियान में लापरवाही बरतने वाले जिला अध्यक्षों को बदलने की सुगबुगाहट पर कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा का कहना है कि भाजपा भले ही 51 फीसदी वोट शेयर करने की बात कह रही हो, लेकिन जिस तरीके से विकास यात्राओं के दौरान विरोध हुआ इससे भाजपा आलाकमान समझ चुका है कि यह लक्ष्य पाना उनके लिए मुश्किल भरा काम है। यही कारण है कि अभी से भाजपा आने वाले समय में होने वाली हार का ठीकरा संगठन पर फोडऩे लगी है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके पहले कभी ऐसा नहीं होता था कि कार्यकाल के बीच में जिला अध्यक्ष या पदाधिकारियों को बदला जाए।
एक चूक पर गिर सकती है गाज
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे भाजपा संगठन अभियानों को लेकर और सख्त होता जा रहा है। 51 फीसदी वोट शेयर हासिल करने के लिए प्रदेश में इन दिनों बूथ विजय संकल्प अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सभी मंडल और जिला अध्यक्षों को अपने-अपने इलाके में बेहतर काम करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि इस अभियान में जिलाध्यक्ष लापरवाही बरतेंगे तो उन्हें हटाने से भी भाजपा नहीं चूकेगी। भाजपा ने प्रदेश के 64100 बूथों पर यह अभियान चलाया गया। इतना ही नहीं पन्ना प्रमुखों के साथ भी प्रदेश प्रभारी अजय जामवाल से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य नेताओं ने बूथ पर जाकर बात की। उन्हें 51 फीसदी वोट शेयर के लिए काम करने के निर्देश भी दिए। पूरे देश में बूथ विस्तारक अभियान में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है। लेकिन, कुछ जिले ऐसे थे जिनका प्रदर्शन संगठन के अनुकूल नहीं रहा। ऐसे जिला अध्यक्षों को बैठक के माध्यम से निर्देश दिए गए हैं कि 4 मई से 14 मई तक चलाए जाने वाले बूथ विजय संकल्प अभियान के दौरान अपना प्रदर्शन सुधार लें। यदि ऐसा नहीं होता है तो ऐसे जिला अध्यक्षों को बदला जा सकता है।
नए जिलाध्यक्षों के प्रति विरोध
पार्टी ने पिछले कुछ महीनों में 20 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां की हैं। अब ये जिलाध्यक्ष अपनी नई टीम बनाना चाहते हैं। मौजूदा पदाधिकारियों के साथ उनका व्यवहार भी ठीक नहीं है। इस कारण जिले के पदाधिकारी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। चुनाव से पहले बनी इस स्थिति ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। इधर प्रदेश नेतृत्व चाहता है कि जिन जिलों में नए जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, उन जिलों में पुरानी टीम से ही काम चलाया जाए ताकि कार्यकर्ताओं में गलत संदेश न जाए। कुछ जिलों में नए जिलाध्यक्षों के प्रति विरोध भी सामने आ रहा है। बालाघाट में पार्टी ने पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश भटेरे की जगह सत्यनारायण अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया है। पार्टी के कुछ लोगों को यह निर्णय स्वीकार नहीं है। उनका मत है कि संगठन ने पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के दबाव में अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया है इस कारण जब कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर बात करने मंत्री गोपाल भार्गव बालाघाट पहुंचे तो कई वरिष्ठ नेताओं ने उनका बहिष्कार कर दिया। यही स्थिति डिंडौरी में है, पार्टी ने वहां अवध बिलैया को अध्यक्ष बनाया लेकिन पुराने पदाधिकारियों के साथ उनका तालमेल बन नहीं पा रहा है। अनूपपुर जिले में नए अध्यक्ष की नियुक्ति से मंत्री बिसाहूलाल सिंह का गुट नाराज है। वे मान रहे हैं कि यहां रामलाल रौतेल के समर्थक को जिलाध्यक्ष बना दिया गया है।
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