नागद ा(प्रफुल्ल शुक्ला)। कहने को तो भाजपा प्रदेश से लेकर पूरे देश में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर एक्शन मोड में आ गई है। परंतु स्थानीय स्तर पर पहले से खंड-खंड हो चुकी भाजपा और भी बिखरती नजर आ रही है। पार्टी के चुने हुए जनप्रतिनिधि और छोटे नेता अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संतुष्ट नहीं दिख रहे। अपनी नाराजगी जाहिर करने का कोई भी मौका नहीं चूक रहे और यही कदम पार्टी के लिए घातक होता जा रहा है। भाजपा के बहुमत वाली नागदा नगर पालिका में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। सत्ताधारी पार्षद ही अपनी परिषद कि कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं दिख रहे और हर मौकों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। पूर्व में भी पार्षदों के दल की नाराजगी एक बार जिलाध्यक्ष के हस्तक्षेप और एक बार स्थानीय स्तर पर बैठक कर दूर करने का प्रयास किया गया। परंतु एक बार फिर पार्षदों की नाराजगी सार्वजनिक होने का मामला सामने आ गया। दो दिन पूर्व मोदी खेल प्रशाल में चल रही रामलीला के दौरान निकाली भगवान राम की बारात के स्वागत के दौरान देखने को मिली जिसमें भाजपा नपा परिषद द्वारा दो अलग-अलग मंचों से स्वागत किया गया। एक मंच पर नगर पालिका परिषद का बेनर लगा था जिस पर नपाध्यक्ष एवं सांसद प्रतिनिधि ओपी गेहलोत, नपा उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा आदि उपस्थित थे, वहीं कुछ ही दूरी पर लगे दूसरे मंच जिस पर भाजपा पार्षददल का बेनर लगा था। इस मंच से नपा सभापति महेंद्रसिंह धोनी, शिवा पोरवाल, पार्षद अनिल जोशी, विजय पटेल, पार्षद दम्पत्ति राजेश गगरानी, नरेंद्र सेंगर आदि मौजूद थे। एक ही कार्यक्रम के स्वागत के लिए कुछ ही दूरी पर दो अलग-अलग मंचों से सतत्ताधारी परिषद द्वारा स्वागत करना आपसी खींचतान को स्पष्ट दर्शाता है। चर्चाओं के अनुसार पार्षदों की नाराजगी की वजह उनके क्षेत्र की उपेक्षा किए जाने को लेकर है, वहीं दूसरी ओर चर्चा यह भी है कमीशन में सम्मानजनक हिस्सा नहीं मिल पाने से सत्ताधारी पार्षदों में नाराजगी है। सच जो भी हो भाजपा का मिशन 2023 एक बार फिर खतरे में है।
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