नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सियासत में बीजेपी और सपा के बीच शह-मात का खेल जारी है. सपा संस्थापक और मुलायम सिंह यादव के सबसे विश्वस्त सलाहकार और सिपहसालार रहे चौधरी हरमोहन सिंह यादव की आज 10वीं पुण्यतिथि है. कानपुर के मेहरबान सिंह पुरवा में चौधरी हरमोहन सिंह की पुण्यतिथि पर भव्य कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी वर्चुअल तौर पर शिरकत करेंगे. ऐसे में सियासत के गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर मुलायम के करीबी खांटी समाजवादी नेता हरमोहन सिंह परिवार लेकर बीजेपी इतनी मेहरबान क्यों है?
हरिमोहन की पुण्यतिथि पर मोदी करेंगे संबोधित
कानपुर के मेहरबान सिंह पुरवा में स्थित स्व. चौधरी हरमोहन सिंह यादव का आवास मुलायम सिंह यादव का दूसरा घर माना जाता रहा. चौधरी हरमोहन सिंह ने ग्राम सभा से लेकर राज्यसभा तक का सफर तय किया. चौधरी हरमोहन सिंह उन लोगों में थे, जिन्होंने मुलायम सिंह यादव के लिए ना सिर्फ सियासी मोर्चाबंदी करते रहे बल्कि समाजवादी पार्टी की स्थापना और पार्टी को सियासी मजबूती भी देते रहे.
पीएम नरेंद्र मोदी, आज समाजवादी नेता स्व. चौधरी हरमोहन सिंह की 10वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम को वर्चुअल संबोधित करेंगे. यह सभा कानपुर के मेहरबान सिंह का पुरवा स्थित एसएस कालेज के मैदान में आयोजित की गई है.पीएम मोदी को 25 जुलाई को हरमोहन की पुण्यतिथि कार्यक्रम में आना था, लेकिन राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह के चलते उनका कार्यक्रम टल गया और अब वर्चुअल कार्यक्रम में जुड़ेंगे.
हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम के लिए एक वाटरप्रूफ पंडाल लगाया गया है, जिसमें पांच हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. इस कार्यक्रम के आयोजक सपा के पूर्व सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव हैं, जो हरमोहन सिंह के बेटे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी, समाजवादी नेता स्व. हरमोहन सिंह की पुण्यतिथि कार्यक्रम को संबोधित कर बड़ा सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है.
मुलायम के करीबी पर बीजेपी की नजर
बता दें कि किसी दौर में चौधरी हरमोहन सिंह यादव की कोठी में सपा की चुनावी रणनीति से लेकर मंत्रिमंडल के गठन तक का मंथन किया जाता रहा है, लेकिन अब इस कोठी से सपा के बजाय बीजेपी का भगवा झंडा फहराने की पूरी तैयारी कर ली गई है. मुलायम के करीबी और अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुखराम यादव की सपा से दूरियां साफ दिख रही है तो बीजेपी के साथ लगातार नजदीकियां बढ़ रही है.
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का टारगेट रखा है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर सपा को कोर यादव वोटबैंक पर है. बीजेपी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जरिए सपा के मजबूत आजमगढ़ में फतह करने के बाद 2024 में यादव बेल्ट में भी ‘कमल’ खिलाने की रणनीति बनाई है. ऐसे में मुलायम के करीबी रहे चौधरी हरिमोहन यादव के पुण्यतिथि के जरिए बीजेपी मिशन 2024 को पूरा करने के लिए सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी करने का चक्रव्यूह रच रही है.
सूबे में यादव बेल्ट में सेंधमारी का प्लान
यूपी में कानपुर से लेकर इटावा कन्नौज फर्रुखाबाद फिरोजाबाद आगरा तक एक समय चौधरी हरमोहन सिंह का यादव वोट बैंक पर दबदबा रहा, लेकिन पिछले कुछ वक्त से सपा का किला दरकता नजर आ रहा है. बीजेपी ने सेंधमारी के लिए पूरी तैयारी कर ली है. 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी हर मोहन सिंह के पौत्र मोहित यादव ने बीजेपी ज्वाइन कर ली और घूम घूम कर प्रदेश में यादव समाज से योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.
चौधरी हरमोहन सिंह के बेटे सुखराम यादव सपा के कद्दावर नेता हैं और राज्यसभा सांसद रहे, जिनका कार्यकाल 5 जुलाई को ही खत्म हुआ है. सपा ने उन्हें इस बार राज्यसभा नहीं भेजा. वहीं, बीजेपी अब चौधरी हरमोहन सिंह यादव के परिवार को भाजपामय करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. माना जा रहा है कि चौधरी हरिमोहन सिंह की पुण्यतिथि कार्यक्रम में पीएम मोदी के शामिल होने के बाद सुखराम यादव बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.
सुखराम यादव क्या बीजेपी में होंगे शामिल
हालांकि, सुखराम यादव ने अभी अपने सियासी पत्ते नहीं खोले हैं और न ही कोई अधिकारिक ऐलान किया है, लेकिन पिछले दिनों सीएम योगी से मिले थे. सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आने से सुखराम यादव परिवार का सपा से मोहभंग हो गया है. इसी के बाद से बीजेपी उन्हें अपने साथ मिलाने के लिए तमाम तरह की कवायद कर रही है. बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से लेकर दिनेश शर्मा तक मेहरबान के पुरवा में चौधरी हरिमोहन सिंह के परिवार को साधने की कवायद कर चुके हैं और अब पीएम मोदी उनकी पुण्यतिति में शामिल हो रहे हैं.
सूबे में मुलायम सिंह के बेहद करीबी नेता और यादव बेल्ट में मजबूत पकड़ रखने वाले यादव समाज के बड़े नेता सुखराम यादव को साथ लाकर बीजेपी ने सपा को एक बड़ा झटका देने का प्लान बनाया है. इसी मद्देनजर चौधरी हरमोहन सिंह की 10 वीं पुण्यतिथि में पीएम मोदी शिरकत करेंगे. इस मौके पर अखिल भारतीय यादव महासभा से जुड़े करीब 12 राज्यों के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम में पीएम की मौजूदगी से बीजेपी यादव समाज को बड़ा संदेश देना चाहती है.
यूपी में यादव वोटर निर्णायक भूमिका में
बीजेपी सूबे में सपा के उस यादव वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने के लिए कदम बढ़ा रही है, जो यूपी के सियासत में सबसे अहम भूमिका निभाया. पिछड़ों और अति पिछड़े वोटबैंक साधने में जुटी बीजेपी के लिए यादव समुदाय सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है. ऐसे में अगर हरमोहन सिंह यादव का परिवार पूरी तरह बीजेपी का झंडा उठा लेता है तो यह भाजपा के लिए बड़ी सियासी बढ़त होगी और समाजवादी पार्टी के मजबूत किले पर बड़ा कब्जा.
कानपुर नगर और देहात जिल के इलाके में चौधरी सुखराम सिंह की यादव समाज और ओबीसी वोट बैंक में अच्छी पकड़ मानी जाती है. अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं, जिसके चलते यादव समाज के बीच बेहतर पकड़ रखते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की नजर ओबीसी के साथ-साथ यादव वोटबैंक पर पूरी तरह से अपनी पकड़ को मजबूत करनी की है. ऐसे में बीजेपी सुखराम को अपने साथ मिलाकर अखिलेश के हार्ड कोर वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है.
दिलचस्प बात यह है कि सुखराम सिंह यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को कभी अपना नेता नहीं माना, क्योंकि वह आज भी मुलायम सिंह यादव को अपना नेता मानते हैं. हालांकि, चौधरी हरमोहन सिंह का जब 2012 में निधन हुआ तो पूरा यादव कुनबा शामिल हुआ था, लेकिन अब उनका सपा से मोहभंग हो चुका है. सपा के साथ उनकी दूरियां जग जाहिर हो गई है. केंद्र और राज्य में भाजपा की सत्ता आने के बाद चौधरी परिवार के भी सुर बदल गए. यही वजह थी कि विधानसभा चुनाव से पहले चौधरी हरमोहन सिंह के पौत्र और सुखराम यादव के बेटे मोहित यादव ने भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं और अब बारी उनके पिता की है.
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