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    सत्‍ता से दूर इन राज्‍यों पर BJP का फोकस, जहां कभी सरकार नहीं बनी

  • September 13, 2021

    नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी पार्टी (BJP) ने पिछले दस सालों में देश के अधिकांश राज्यों में अपनी सरकार बना ली हैं, किन्‍तु अभी कुछ ऐसे भी राज्‍य हैं जहां पर भाजपा (BJP)यहां सत्‍ता से दूर है। इनमें पंजाब, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु (Andhra Pradesh and Tamil Nadu) शामिल हैं, जबकि पिछले साल पंश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी निराशा हाथ लगी। इन चारों राज्यों के समीकरण भाजपा के अनुरूप नहीं बैठ पा रहे हैं और उसके केंद्रीय नेतृत्व की भी बड़ी स्वीकार्यता इन राज्यों में नहीं बन पा रही है। इन राज्यों के लिए पार्टी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मिलकर नई रणनीति बनाकर ऐसे नेताओं की खोज कर रही ताकि आने वाले सालों में यहां पर अपनी जड़ें मजबूत की जा सके।
    बता दें कि भारतीय जनता पार्टी पार्टी (BJP) ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में अपना व्यापक प्रसार किया है और इसमें बड़ी सफलता भी मिली, लेकिन कई राज्‍यों में सत्‍ता हासिल नहीं सकी थी।
    भारतीय जनता पार्टी पार्टी (BJP) कई राज्‍यों में ऐसे नेताओं का तलाश करने में जुट गई जो पार्टी का जनाधार बढ़ा सकें, क्‍योंकि आने वाले राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) और इसके बाद आम चुनाव में पार्टी की एक तरफा जीत हो सके। इसी को लेकर पार्टी में अब मंथन शुरू हो गया है। तेलंगाना में भी पार्टी काफी तेजी से अपनी जड़े जमा रही है। केरल में सत्ता के समीकरण उसके पक्ष में न होने के बावजूद भी वह संगठन के तौर पर अपनी स्थिति कमजोर नहीं होने दे रही है।
    बता दें कि उत्तराखंड के बाद कर्नाटक और अब गुजरात में पार्टी को अचानक अपने सीएम बदलने पढ़े हैं। इससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि पार्टी के अंदर यह पठकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। अब भाजपा लोकसभा का वोट प्रतिशत विधानसभा चुनाव में बरकरार न रहने से चिंतित भाजपा नेतृत्व ने अलग-अलग राज्यों की समीक्षा कर जरूरत पड़ने पर नेतृत्व परिवर्तन की रणनीति बनाई थी। इसी के तहत उत्तराखंड, कर्नाटक के बाद अब गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि यही फार्मूला चरणबद्ध तरीके से हरियाणा, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश में भी आजमाया जाएगा। यही नहीं जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां संगठन में बदलाव किया जाएगा।



    विदित हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी नेतृत्व ने विभिन्न राज्यों में नया नेतृत्व उभारने का दांव चला। इस क्रम में हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में नेतृत्व ने नए चेहरों पर दांव लगाया। हालांकि स्थानीय नेतृत्व पार्टी के मापदंडों पर खरा नहीं उतर पाया।
    पार्टी नेतृत्व की चिंता पिछले साल तब बढ़ी जब विधानसभा चुनाव में पार्टी को झारखंड और महाराष्ट्र में सत्ता गंवानी पड़ी। हरियाणा में पार्टी को सरकार बनाने के लिए जेजेपी की मदद लेनी पड़ी। इसके बाद इसी साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी।
    इन सभी राज्यों में एक तथ्य समान था। किसी राज्य में पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान हासिल मत प्रतिशत को बरकरार नहीं रख पाई, हालांकि हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के नतीजों के बाद ही नेतृत्व ने राज्यवार समीक्षा कर नेतृत्व परिवर्तन की पटकथा तैयार की थी। इसके बाद जब पश्चिम बंगाल से निराशाजनक परिणाम आए तब पार्टी ने पहले से लिखी पटकथा को जमीन पर उतारना शुरू किया। इस क्रम में पहले उत्तराखंड, फिर कर्नाटक और अब गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन किया गया।
    वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि निकट भविष्य में कई और राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। कई राज्यों की समीक्षा हो भी चुकी है। इन राज्यों में जैसे ही जनाधार और जातिगत समीकरण में फिट नेता की तलाश पूरी होगी, नेतृत्व परिवर्तन को अमली जामा पहना दिया जाएगा।

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