नई दिल्ली. हिंडनबर्ग (Hindenburg) की नई रिपोर्ट (report) ने देश में सियासी हलचल (Political stir) बढ़ा दी है. इस रिपोर्ट में सेबी अध्यक्ष (SEBI Chairman) पर सवाल उठाए गए हैं. इसके बाद से विपक्ष (Opposition) लगातार मोदी सरकार (modi government) को घेर रहा है औऱ इसकी जांच की मांग कर रहा है. इन सबके बीच अब पहली बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) की भी प्रतिक्रिया आ गई है.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी (sudhanshu trivedi) ने इस पर कहा है कि विपक्ष के तार सीमा पार जुडें हुए हैं. राहुल गांधी एक ब्रिटिश कंपनी में काम कर चुके हैं. विदेशी कंपनी के साथ कांग्रेस का यारान है और आर्थिक संस्था पर हमला किया जा रहा है. कुछ लोग देश में आर्थिक आराजकता पैदा करना चाहते हैं. एलआईसी और एचएल को भी पहले बदनाम किया गया था. पिछले कई वर्ष से जब जब संसद का सत्र चलता है तो विदेश से रिपोर्ट आती है. संसद सत्र के दौरान रिपोर्ट आते हैं.
महुआ मोइत्रा ने की है सीबीआई जांच की मांग
इस मामले पर टीएमसी सांसद ने कहा, “यह एक तरह से सेबी का टकराव और कब्जा दोनों है. सेबी चेयरपर्सन अडानी ग्रुप में अपारदर्शी निवेशक हैं. गौतम आडानी के समधी सिरिल श्रॉफ कॉर्पोरेट गवर्नेंस कमेटी में हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सेबी के पास सभी शिकायतें अनसुनी कर दी जाती हैं.”
महुआ मोइत्रा ने सिरिल श्रॉफ के नाम पर टिक लगाते हुए कहा कि जब तक ये सेबी के चेयरपर्सन हैं तब तक हम अडानी पर जांच को लेकर सेबी पर भरोसा नहीं कर सकते. यह जानकारी सार्वजनिक होने के बाद सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना होगा.
हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर लगाए हैं ये आरोप
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी समूह पर उसकी रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो चुके हैं, जिसमें इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि यह भारतीय ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था.
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