भोपाल: लोकसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस माह के अंत तक पूरी तरह एक्शन के मोड में आ जाएगी. पार्टी की तैयारी 31 जनवरी तक हर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कार्यालय खोलने की है, ताकि कैंडिडेट के चयन से लेकर चुनाव लड़वाने की रणनीति पर गंभीरता से काम किया जा सके. माना जा रहा है कि पार्टी इस बार युवा और योग्य उम्मीदवारों को लोकसभा का टिकट दे सकती है.बीजेपी इस बार मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतकर रिकार्ड भी बनना चाहती है.
साल 2024 के इलेक्शन शेड्यूल को देखें तो कहा जा सकता है कि अब लोकसभा चुनाव के लिए लगभग तीन माह का समय ही बचा है. बीजेपी ने लोकसभा के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट पर अपना फोकस बढ़ा दिया है.पार्टी सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर 31 जनवरी तक केंद्रीय चुनाव कार्यालय खोल दिया जाएगा. पार्टी ने तय किया है कि दो या तीन लोकसभा सीटों को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया जाएगा जिसकी मॉनिटरिंग किसी बड़े नेता के हाथ में होगी.यह नेता दूसरे प्रदेश के विधायक या मंत्री भी हो सकते हैं.
जैसा की ज्ञात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में जाने वाली है.पार्टी ने इस बार कैंडिडेट चयन के लिए भी नए मापदंड तय किए हैं.मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में जाति और धर्म की बजाय इस बार उम्मीदवार की योग्यता पर ज्यादा फोकस होगा.
बीजेपी के मुताबिक रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि लोकसभा में ऐसे सदस्य चुन कर आएं,जो देश के लिए पॉलिसी मेकिंग में अपना योगदान दे सकें.बीजेपी ने यह भी संकेत दिया है कि पार्टी समाज के अलग-अलग क्षेत्रों के स्किल्ड लोगों को लोकसभा का टिकट दे सकती है.इसी फार्मूले के तहत भाजपा ने दो या उससे ज्यादा बार के सांसदों की टिकट काटने का भी संकेत दिया है.वैसे भी मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सात सांसदों की जगह नए चेहरों की तलाश हो रही है.
यहां बताते चलें कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच 7 चरणों में हुआ था. वोटों की गिनती 23 मई को की गई थी.इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की थी.वहीं,भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन यानी एनडीए (NDA) को 353 सीटें मिली थी.बात मध्य प्रदेश करें तो साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने लोकसभा की 29 में से 28 सीटें जीती थी. केवल छिंदवाड़ा से एक कमलनाथ अपनी सीट बचा पाए थे,जबकि भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और गुना से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी हार का सामना करना पड़ा था.
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