उज्जैन। कांग्रेस द्वारा संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर को लेकर पूरे देश में नया अभियान शुरू किया जाए, उसके पूर्व भाजपा ने इस वर्ष को संविधान पर्व के रूप में मनाने का फैसला ले लिया है। भाजपा के इस फैसले के माध्यम से कांग्रेस के अंबेडकर कार्ड का माकूल जवाब दिया जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की याद में इस पूरे साल को सुशासन और संविधान पर केंद्रित किया जाएगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब अंबेडकर को लेकर कहे गए शब्द कांग्रेस के लिए मुद्दा बन गए हैं। कांग्रेस ने पूरे देश में इस मुद्दे को लेकर अभियान चलाया है। देशभर में अंबेडकर सम्मान यात्रा का आयोजन किया जा चुका है। बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वहां पर सद्बुद्धि धरना जैसा कार्यक्रम भी आयोजित किया जा चुका है। अब नए साल में कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को ज्यादा हवा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पदयात्रा का कार्यक्रम घोषित किए जाने की चर्चा है। इस बारे में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में भी चर्चा हुई थी। इस बैठक में इस कार्यक्रम को अंतिम रूप देकर उसे घोषित किया जाना था। यह हो पाता उसके पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया और बैठक को समाप्त करना पड़ा। अब ऐसा समझा जाता है कि राजकीय शोक के समापन के बाद कांग्रेस अपने कार्यक्रम का ऐलान कर दिया जाएगा। उधर भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के बीच कल दिल्ली में आयोजित की गई एक महत्वपूर्ण बैठक में एक तरफ जहां चुनाव की प्रक्रिया की समीक्षा की गई तो वहीं दूसरी तरफ कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए हैं। इस बैठक में यह तय किया गया है कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपयी की 100वीं जन्मजयंती थी। इस उपलक्ष्य में अब पार्टी द्वारा 25 दिसंबर 2025 तक यानी की 1 वर्ष तक के समय को सुशासन और संविधान पर्व के रूप में मनाया जाएगा। ऐसा समझा जाता है कि कांग्रेस द्वारा अंबेडकर के मद्दे को लेकर शुरू किए गए अभियान का जवाब देने के लिए पार्टी द्वारा यह फैसला लिया गया है। इस फैसले के माध्यम से भाजपा अटलबिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान सॉफ्ट हिंदुत्व और विकास की दिशा में हुए महत्वपूर्ण कार्यों पर फोकस करेगी। इसके साथ ही संविधान पर्व के रूप में पार्टी के द्वारा अतीत की घटनाओं को सामने रखते हुए कांग्रेस की घेराबंदी की जाएगी। इसके बीच आने वाले समय में पार्टी के द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति के संकेत मिलना शुरू हो गए हैं। जनवरी के महीने में संगठन के चुनाव में अधिकांश राज्यों में पार्टी के राज्य इकाई के अध्यक्ष का निर्वाचन हो जाएगा। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया चलेगी। यह निर्वाचन पूरा होने के बाद ही पार्टी का अपने एजेंडा पर अभियान शुरू हो सकेगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved