नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana) की सियासत में 13 मार्च 2024 को एक बड़ा धमाका हुआ. उस दिन दोपहर को सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया और शाम को नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया. लोकसभा (Lok Sabha) और विधानसभा (Assembly) चुनाव से ठीक पहले अचानक भाजपा के मुख्यमंत्री (Chief Minister) बदलने से हर कोई हैरान था. ऐसा नहीं है कि चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने सीएम न बदले हों. भाजपा (BJP) यह ‘ब्रह्मास्त्र’, पहले भी चला चुकी है और हरियाणा में भी मुख्यमंत्री बदलने का उसका दांव एकदम पहले की तरह ही सही पड़ा है. भाजपा जान चुकी थी कि मनोहर लाल खट्टर के प्रति लोगों में असंतोष है. एंटी-इनकंबेसी कम करने के लिए ही और खट्टर की गलतियों को सुधारने के लिए लाए गए नायब सिंह सैनी ने भाजपा के लिए ‘नायाब’ काम कर दिखाया, जिसकी उम्मीद काफी कम लोगों को थी.
एग्जिट पोल और तमाम चुनावी अनुमानों को ध्वस्त करते हुए नायब सैनी के नेतृत्व में भाजपा हरियाणा में शानदार प्रदर्शन कर रही है. रुझानों में अभी बीजेपी को 51 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि कांग्रेस केवल 34 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. नॉन जाट वोटों के ध्रुवीकरण के साथ ही भाजपा द्वारा मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले का भी भाजपा की हरियाणा की सत्ता में वापसी में अहम योगदान है.
बीजेपी को ‘प्रयोग’ बहुत पसंद है. चुनाव से ऐन पहले भाजपा पांच राज्यों में अब तक अपने मुख्यमंत्री बदल चुकी है. गुजरात, उत्तराखंड, त्रिपुरा, कर्नाटक और हरियाणा में उसने यह सत्ता विरोधी लहर को थामने के लिए यह ‘प्रयोग’ किया. पार्टी का यह ‘हथियार’ अब तक केवल कर्नाटक में ही फेल हुआ है, बाकी चारों जगह यह सटीक निशाने पर ही लगा है. सत्ता में वापसी का बीजेपी का सबसे सफल प्रयोग उत्तराखंड का रहा है. उत्तराखंड में बीजेपी नेतृत्व को अंदाजा हो चुका था कि पार्टी जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी लहर से जूझ रही है.
इसकी काट के लिए बीजेपी ने दो बार राज्य में अपने मुख्यमंत्री बदले. 2017 में ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया. 2021 आते-आते रावत के खिलाफ असंतोष बढ़ गया. लिहाजा आलाकमान ने रावत को सीएम पद से हटा दिया और 10 मार्च 2021 को राज्य की बागडोर तीरथ सिंह रावत को सौंप दी गई. 4 महीने बाद सीएम पद से बीजेपी ने रावत को हटा कुर्सी 4 जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी दे दी. मार्च 2022 में बीजेपी पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनावी जंग में उतरी और जीत हासिल की.
2017 में जब बीजेपी की इस राज्य में सरकार बनी तो विजय रुपानी सीएम बने. रुपानी का कार्यकाल दिसंबर 2022 में खत्म हो रहा था। लेकिन बीजेपी ने माहौल भांपते हुए विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर 2021 में ही नेतृत्व में बदलाव कर दिया और सीएम पद की जिम्मेदारी भूपेंद्र पटेल को दे दी. एक बार फिर से बीजेपी का ये प्रयोग सफल रहा. दिसंबर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर कामयाबी मिली और गुजरात में लगातार राज करने का बीजेपी का रिकॉर्ड अटूट रहा.
त्रिपुरा में लेफ्ट का किला ध्वस्त कर बीजेपी ने मार्च 2018 में पहली बार कमल खिलाया. विजय के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी बिप्लब देव को दी. बिप्लब देव का कार्यकाल 2023 में खत्म होने वाला था. लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर बिप्लब देव को संगठन में भेज दिया और सीएम की कुर्सी दी माणिक साहा को. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में त्रिपुरा में बीजेपी ने जीत हासिल की. कर्नाटक में चुनाव से पहले बीजेपी का बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री हटाकर बसवराज बोम्बई को मुख्यमंत्री बनाने का दांव सटीक नहीं बैठा.
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