इंदौर। बूथ मैनेजमेंट के मामले में हमेशा अव्वल मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी का मैनेजमेंट इस बार अपने ही गढ़ इंदौर में गड़बड़ा गया है। चुनाव के 1 सप्ताह पहले से ही अपने बूथ पर सक्रिय होने वाले कार्यकर्ता इस बार ऐनवक्त पर घर बैठ गए हैं। पार्टी के नेता भी इस काम में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके पीछे संगठन, उम्मीदवार और विधायकों के बीच तालमेल न बैठना सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे सक्रिय रहने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इंदौर के मामले में खुद को असहाय-सा मान रहा है। संघ अपने लोक जागरण अभियान के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए लोगों को जरूर प्रेरित कर रहा है। इंदौर संसदीय क्षेत्र के लिए 13 मई को मतदान होना है और 11 मई को सुबह तक बूथ से संबंधित कार्यकर्ताओं के पास बूथ मैनेजमेंट से संबंधित सामग्री नहीं पहुंची थी।
हर चुनाव में संगठन द्वारा उम्मीदवार के सहयोग से एक किट बनवाया जाता है, जिसमें मतदान केंद्र से जुड़ी बहुत सारी सामग्री रहती है। यह किट संबंधित बूथ के प्रभारी के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाता है और पोलिंग एजेंट उसके रिलीवर तथा बूथ के बाहर टेबल पर बैठने वाले पार्टी कार्यकर्ता मतदान के दौरान इसका उपयोग करते हैं। मतदान केंद्र पर ड्यूटी देने वाले कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण भी अभी तक नहीं हुआ है। पार्टी के जिम्मेदार लोग भी इस बार कार्यकर्ताओं की चुनाव से दूरी को लेकर बहुत चिंतित हैं और उन्हें सक्रिय करने के तमाम प्रयास अभी तक असफल ही रहे हैं। पार्टी के संगठन महामंत्री हितानंद भी दो दिन पहले इंदौर आकर इस बारे में पार्टी पदाधिकारी और उम्मीदवार से बात कर चुके हैं। शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी इस बारे में पार्टी नेताओं से बात की और जो फीडबैक उनसे मिला उसके बाद उम्मीदवार से भी चर्चा की।
तेज गर्मी भी प्रभावित कर सकती है मतदान को
पिछले एक सप्ताह से जिस तरह से पारा ऊपर चढ़ रहा है उसके चलते भी यह माना जा रहा है कि लोगों को मतदान के लिए घर से बाहर लाना टेढ़ी खीर है। यदि कार्यकर्ता ने रुचि नहीं ली तो फिर परेशानी बढ़ेगी। पार्टी और उम्मीदवार दोनों का आकलन है कि सुबह और शाम को ही मतदान ज्यादा होने की स्थिति बनेगी। दोपहर के समय मतदान का प्रतिशत बहुत कम रहेगा।
ऐसे में कैसे बढ़ाएंगे प्रतिशत
पार्टी के स्पष्ट निर्देश हैं कि ज्यादा से ज्यादा मतदान होना चाहिए। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश पदाधिकारी स्थानीय संगठन पर भारी दबाव भी बनाए हुए हैं। ताजा स्थिति में पार्टी नेताओं की चिंता इस बात को लेकर है कि यदि मतदान के दिन वोटर को घर से निकालकर पोलिंग बूथ तक पहुंचने वाला कार्यकर्ता इसी तरह निष्क्रिय रहा तो फिर मतदान का प्रतिशत कैसे बढ़ेगा। पिछले कई दिनों से मैदान में सक्रिय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी भाजपा कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता का फीडबैक दे चुका है। पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो कांग्रेस उम्मीदवार के न होने के बावजूद जीत का रिकॉर्ड बनना मुश्किल है।
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