– मृत्युंजय दीक्षित
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर सामाजिक समरसता और नारी सशक्तीकरण का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे आदिवासी समाज और महिलाओं में नई आस जगी है। 21 जून को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था ‘संसदीय बोर्ड’ की बैठक के बाद द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा कर दुनिया को ‘बड़ा’ सदेश दिया। द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल भी उत्कृष्ट रहा है। उम्मीद है वह देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी। प्रधानमत्री ने ट्वीट किया- ‘लाखों लोग, जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है, वे द्रौपदी मुर्मू के जीवन से शक्ति प्राप्त करते हैं। नीतिगत मुद्दों पर उनकी समझ और उनकी दयालु प्रवृत्ति से देश को बहुत फायदा होगा।’
मोदी ने कहा, ‘‘द्रौपदी मुर्मू ने समाज की सेवा और गरीबों, वंचितों और शोषितों के सशक्तिकरण में अपना जीवन खपा दिया। उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल भी उत्कृष्ट रहा। मुझे विश्वास है कि वह हमारे देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी।’’
दशकों तक पर्याप्त भोजन और वस्त्रों से दूर रहे आदिवासी समुदाय को रायसीना की पहाड़ी के सर्वोच्च शिखर के करीब पहुंचाकर भारत ने विश्व को एकबार फिर दिखा दिया है कि यहां रंग, जाति, भाषा, धर्म, जाति, संप्रदाय का कोई भेद नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव काल में द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना निश्चित ही भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ होगा।
संसद और विधानसभाओं का अंकगणित यह कह रहा है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत अब महज औपचारिकता है। राजग उम्मीदवार को ओडिशा के बीजू जनता दल, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस और मायावती के बसपा का समर्थन का ऐलान भी सुखद है। झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ मिलना भी तय माना जा रहा है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने दलित नेता रामनाथ कोविन्द को उम्मीदवार बनाकर दलित समुदाय को बड़ा सम्मान दिया था।
भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई निशाने भी साधे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड, गुजरात और ओडिशा जैसे आदिवासी बहुल राज्यों के विधानसभा चुनाव में इसका फायदा जरूर मिलेगा। इस वजह यह है कि मणिपुर में 41 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 34 प्रतिशत, त्रिपुरा में 32 प्रतिशत, झारखंड में 26.2 प्रतिशत और गुजरात में 15 प्रतिशत आदिवासी हैं । यही नहीं, इस निर्णय के साथ ही भाजपा अपनी शहरी पार्टी होने कि छवि से बहुत आगे निकल गई है।
द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत का चुनाव जीतकर राजनीति में पर्दापण किया था। वह रायरंगपुर से विधायक भी रही हैं। वर्ष 2007 के सर्वश्रेष्ठ विधायक के नीलकांता पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। वह ऐसी पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। द्रौपदी मुर्मू और उनका परिवार पूर्ण रूप से शाकाहारी है। इस चुनाव में यदि द्रौपदी मुर्मू की जीत होती है तो वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। 64 वर्षीय मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के आधार पर भाजपा नीत राजग मजबूत स्थिति में है। वह झारखंड की पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। विपक्षी दलों ने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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