जयपुर। प्रदेश के 50 स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम के बाद अब बीजेपी अब आत्ममंथन के दौर में आ गई है। पंचायती राज चुनावों में तो बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए भी अपनी कामयाबी का परचम लहराया था, लेकिन निकाय चुनाव में तो लगभग आधा दर्जन जिलों से उसका पूरी तरह से सफाया हो गया है।
अब पार्टी हारने वाले जिलों से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मंगवा रही है। इस हार में गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के संकेत मिल रहे हैं। बीजेपी अब उसकी तह में जाने की कोशिश कर रही है। संकेतों की हकीकत सामने आने पर इन गतिविधियों में शामिल रहने वाले पदाधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि करीब 5 जिलाध्यक्षों समेत इनके जिला प्रभारियों और संभाग प्रभारियों की भी छुट्टी हो सकती है।
‘बूथ जीता- चुनाव जीता’ का नारा देने वाली बीजेपी पिछले दिनों 12 जिलों के 50 निकाय में हुए चुनाव के परिणामों में औंधे मुंह गिरी है। इन चुनाव परिणामों ने पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। पूर्वी राजस्थान के लगभग 32 निकायों में बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इनमें दौसा, सवाई माधोपुर, धौलपुर,भरतपुर, करौली और बारां में पार्टी को जबर्दस्त शिकस्त मिली है। इन जिलों के परिणाम पार्टी के लिए किसी शॉक से कम नहीं है। प्रदेश नेतृत्व ने इन जिलों की जमीनी हकीकत क्या है, इसकी सीक्रेट रिपोर्ट मंगवाई है।
इस पड़ताल में देखा जाएगा कि धरातल में कहां पार्टी कमजोर रही। हार के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं। उन पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ एक्शन की तैयारी भी की जा रही है। इस पड़ताल में गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं की तलाश की जा रही है। इन पांचों जिलो के अध्यक्ष पार्टी के निशाने पर हैं। इन जिलों के जिलाध्यक्षों गाज गिर सकती है। वहीं लापरवाह रहे जिला और संभाग प्रभारियों को भी बदले जाने के संकेत मिल रहे हैं।
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