लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना काल में न तो सीमाएं सुरक्षित हैं और न ही कारोबार या रोजगार। अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट दर्ज है। बैंक डूब रहे हैं, जमा राशि पर ब्याज घटता जा रहा है। परेशान हाल लोग अपने पीएफ से पैसे निकालने को मजबूर हैं। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते जनता मानसिक रूप से नाउम्मीदी की शिकार होती जा रही है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में रामराज्य की बातें करते हैं, जबकि हकीकत में राज्य में जंगलराज के बदतर हालात हैं। आए दिन हत्याएं, लूट, अपहरण के काण्ड हो रहे हैं। अब तो सत्तारुढ़ दल भाजपा के विधायक के नाम से भी फोन पर पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगे जाने की खबर है। जिला मंत्री का नाम अपहरण काण्ड में गूंजता है। भाजपा नेता अनैतिक व्यापार में लगे दिखाई देते हैं। पार्टी विद डिफरेंस का इससे बदतर उदाहरण और क्या हो सकता है?
उन्होंने कहा कि कैसी अजीब बात है कि सत्ता में बैठे सब एक दूसरे को चोर बता रहे हैं। हरदोई सांसद कहते हैं उनका वेंटिलेटर के लिए दिया गया पैसा गायब हो गया है। उन्नाव में पुलिस भाजपा विधायक को अवैध कब्जा करने वाले का साथी बता रही है। भाजपा राज में संरक्षित अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं। भ्रष्टाचार का माडल चर्चा में है। नगर निगम लखनऊ के मुख्य अभियंता को ठेकेदार धमकाता है। उसकी पैरवी नगर की मेयर करती और नगर आयुक्त को उसके लिए पत्र लिखती है। इन दिनों मेयर, नगर आयुक्त गुटों में उठापटक हो रही हैं।
अखिलेश ने कहा कि इसके साथ ही राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को त्योहार के मौके पर भी वेतन नहीं दे पा रही है। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम में ढाई साल से अधिक समय से कर्मचारियों को वेतन नहीं बंटा है। 15 कर्मचारी मौत के मुंह में समा चुके हैं। जल निगम और सीऐंडडीएस में चार महीने से 20 हजार कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। समाजवादी सरकार ने घायलों को समय से इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने हेतु 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू की थी। प्रसूताओं के लिए 102 एम्बूलेंस सेवा थी। इनके चालकों को न तो समय से वेतन बंट रहा है और नहीं निर्धारित वेतन राशि दी जाती है। (एजेन्सी, हि.स.)
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