जयपुर । राजस्थान उपचुनाव में (In Rajasthan by-elections) भाजपा ने 5 सीटें जीती (BJP won 5 seats) -कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली (Congress got only one seat) । राजस्थान में हुए सात उपचुनावों के परिणाम स्पष्ट संकेत देते हैं कि राज्य की सियासत में भाजपा ने मजबूत स्थिति बना ली है। इन चुनावों में भाजपा ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस को सिर्फ दौसा सीट पर संतोष करना पड़ा। इसके अलावा, चौरासी सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी ने जीत हासिल कर यह साबित कर दिया है कि क्षेत्रीय दल भी राजनीतिक परिदृश्य में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में सक्षम हैं।
भाजपा के लिए यह जीत न केवल राज्य में उनके संगठनात्मक ढांचे की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को चुनौती देने का मंच भी तैयार करती है। झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर और रामगढ़ सीटों पर भाजपा की जीत पार्टी की रणनीतिक सफलता का प्रमाण है। खींवसर में भाजपा ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराकर एक प्रतीकात्मक जीत हासिल की है। यह न केवल बेनीवाल परिवार की राजनीति को चुनौती देने वाला कदम है, बल्कि क्षेत्रीय क्षत्रपों को भाजपा के खिलाफ सावधान रहने की चेतावनी भी है। वहीं, सलूंबर में आखिरी राउंड में बाजी पलटकर शांता मीना की जीत ने भाजपा के “ग्रासरूट” मैनेजमेंट की सफलता को रेखांकित किया है।
कांग्रेस के लिए दौसा सीट पर दीनदयाल बैरवा की जीत एकमात्र राहत है। हालांकि, इस जीत पर भी भाजपा ने रीकाउंटिंग की मांग कर विवाद खड़ा कर दिया है। दौसा सीट पर भाजपा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाकर व्यक्तिगत प्रभाव को भुनाने की कोशिश की थी, लेकिन यह रणनीति सफल नहीं हो पाई।
कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव परिणाम स्पष्ट रूप से राज्य में पार्टी की गिरती साख का संकेत है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान का असर संगठन पर साफ दिखाई देता है। भाजपा ने जहां एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा, वहीं कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद पार्टी को कमजोर कर रहे हैं।
भारतीय आदिवासी पार्टी की चौरासी सीट पर जीत एक नया सियासी संदेश देती है। यह आदिवासी इलाकों में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती है। यह जीत दिखाती है कि पारंपरिक पार्टियों के प्रति असंतोष को छोटे दल अपने पक्ष में बदलने में सक्षम हैं। इन परिणामों ने भाजपा को राज्य में ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। कांग्रेस को यदि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो उसे तुरंत अपने संगठन को दुरुस्त करना होगा। भाजपा की यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व की रणनीतियों के प्रति जनता के विश्वास का भी संकेत है। राजस्थान की सियासत में यह उपचुनाव परिणाम एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। जहां भाजपा ने अपना वर्चस्व दिखाया है, वहीं कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के लिए यह आत्मविश्लेषण का वक्त है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved