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    यूपी के चुनावी घोषणा पत्र में भी बाजी मारती भाजपा

  • February 10, 2022

     

    – सियाराम पांडेय ‘शांत’

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के चुनाव प्रचार की समाप्ति से कुछ घंटे पूर्व भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी किए। कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले ही जारी कर चुकी है। सपा और भाजपा ने बहुत देर से अपना वचन और संकल्प पत्र काफी विलंब से जारी किया है लेकिन इसके पीछे अपने घोषणा पत्र को मजबूती से जनता के समक्ष रखने की कोशिश ही प्रमुख है।

    भाजपा ने जहां इसे पूर्व की तरह लोक कल्याण संकल्प पत्र नाम दिया तो समाजवादी पार्टी ने सत्य वचन पत्र कहा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहले ही कह चुके थे कि भाजपा जब अपना चुनावी घोषणा पत्र ले आएगी, तभी वह अपनी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने ऐसा किया भी लेकिन उन्हें क्या पता था कि भाजपा अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में विपक्ष के दावों को भी शामिल कर लेगी। भाजपा ने लोक कल्याण संकल्प पत्र में जहां आधी आबादी के विकास पर जोर दिया है, वहीं गांव-गरीब और किसान के हितों की भी चिंता की है। स्वास्थ्य और शिक्षा पर उसका विशेष फोकस रहा है। प्रदेश के हर जिले में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से युक्त मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, प्रदेश के हर नागरिक को सरकारी सेवाएं निर्धारित समय में उपलब्ध कराने की गारंटी देने वाला कानून लाने के संकल्प को कमोबेश इसी रूप में देखा-समझा जा सकता है।

    अयोध्या में रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना का वादा कर भाजपा ने सीधे तौर पर प्रदेश भर के रामभक्तों का दिल जीतने की कोशिश की है। राममंदिर का निर्माण कार्य तो चल ही रहा है। लव जिहादियों को कम से कम 10 साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाने की घोषणा कर निश्चित रूप से भाजपा ने आधी आबादी की सुरक्षा चिंता को घटाने का काम किया है।

    उत्तर प्रदेश को देश की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प के साथ ही भाजपा ने पांच खरब रुपये के साथ ‘मिशन आत्मनिर्भर’ शुरू करने का वायदा किया है। इसके तहत भाजपा पांच लाख नए महिला स्वयं सहायता समूह बनाएगी। हर ग्राम पंचायत में नियमित रूप से गरीब कल्याण मेले के आयोजन की उसकी घोषणा बताती है कि वह सुनियोजित तरीके से गांवों का विकास करना चाहती है जबकि अन्य राजनीतिक दल केवल मुफ्त सुविधाएं देने की बात कर रहे हैं और यह ग्रामीणों की समस्याओं का हल नहीं है।

    लोक कल्याण संकल्प पत्र में भाजपा ने प्रादेशिक भाषाओं में शोध को बढ़ावा देने के लिए सूरदास ब्रजभाषा अकादमी, गोस्वामी तुलसीदास अवधी अकादमी, केशवदास बुंदेली अकादमी एवं संत कबीर दास भोजपुरी अकादमी स्थापित करने का भी वायदा किया है। भाषिक अभियान के तहत भाजपा ने जहां पूर्वांचल, अवध क्षेत्र और बुंदेलखंड को साधने का प्रयास किया है, वहीं भाजपा ने बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना शुरू करने की घोषणा कर पश्चिम को भी साधने की मुकम्मल कोशिश की है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के घोषणापत्र में इस तरह के दृष्टिकोण का नितांत अभाव नजर आता है।

    लोक कल्याण संकल्प पत्र तैयार करने में भाजपा ने 30 हजार से ज्यादा सुझाव प्राप्त किया। इससे संबंधित आकांक्षा पेटी लांच कर, ‘यूपी नंबर एक, सुझाव आपका, संकल्प हमारा’ अभियान, 30 हजार ग्राम पंचायतों, सभी विधानसभा क्षेत्रों और महानगरों में विभिन्न सामाजिक और आर्थिक वर्ग के लोगों से संवाद कर इसे तैयार किया। कदाचित अन्य दल इस तरह का दावा कर पाने की स्थिति में नहीं है।

    यूपी की जनता को अपनी ओर आकृष्ट करने की राजनीतिक दलों की कोशिश और बात है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 10 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य तो रखा ही है। होली- दीपावली पर उज्ज्वला योजना के तहत दो एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने की घोषणा भी की है। 60 साल से ऊपर की महिलाओं को फ्री बस यात्रा की घोषणा भी आधी आबादी का दिल जीतने वाली है।

    मेरठ, रामपुर, आजमगढ़, कानपुर, बहराइच में एंटी टेररिस्ट कमांडो सेंटर बनाने की घोषणा कर भाजपा ने जहां असामाजिक तत्वों के खिलाफ शिकंजा ढीला न होने देने का संकल्प जताया है, वहीं सभी किसानों को सिंचाई पर मुफ्त बिजली देने और गन्ना किसानों को 14 में भुगतान व सीमांत और छोटे किसानों के लिए दुगुनी किसान सम्मान निधि देने का वायदा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के हाथ से किसानों का मुद्दा छीन लिया है। कन्या सुमंगला राशि बढ़ाकर 15 हजार से 25 हजार रुपये करने, मेधावी छात्राओं को स्कूटी देने, मेधावी छात्रों को लैपटॉप देने, यूपीएससी समेत सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या दोगुनी करने, लता मंगेशकर की स्मृति में परफॉर्मिंग आर्ट्स अकादमी बनाने की घोषणा कर भाजपा ने सपा और कांग्रेस की महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिशों को तगड़ा झटका दिया है।

    काशी, मेरठ, गोरखपुर, बरेली, झांसी, प्रयागराज को मेट्रो सुविधा से जोड़ने, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाने, प्राथमिक स्कूलों में टेबल-बेंच की व्यवस्था करने, हर मण्डल में कम से कम एक विश्वविद्यालय स्थापित करने, हर परिवार को कम से कम एक सदस्य को रोजगार देने का वायदा कर भाजपा ने विकास को लेकर अपनी दूरंदेशी सोच का परिचय दिया है। इस तरह की सोच सपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र में नजर नहीं आती।

    बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की स्मृति में भव्य स्मारक बनाने की घोषणा कर उसने जहां राजभर समाज के लोगों को साधने का प्रयास किया है, वहीं समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन दल में शामिल ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के पैरों तले की जमीन सरकाने की भी चेष्टा की है। समाजवादी पार्टी ने सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा किया था। भाजपा ने भी इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर लिया है। गन्ना भुगतान की अवधि भी भाजपा ने सपा के वादे के मुकाबले एक दिन कम कर दी है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। भाजपा ने भी इसे अपने संकल्प पत्र में शामिल कर लिया है। साथ ही,25 हजार करोड़ की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू करने का वादा किया है।

    कांग्रेस ने हर साल तीन गैस सिलेंडर महिलाओं को मुफ्त देने का वादा कर रखा है। भाजपा ने होली और दीपावली में दो गैस सिलेंडर मुफ्त देने का एलान किया।

    कांग्रेस ने पुलिस में महिलाओं की भर्ती बढ़ाने का वादा किया है। भाजपा ने तीन नई महिला बटालियन शुरू करने का एलान किया। इसके अलावा तीन हजार पिंक पुलिस बूथ बनाने का भी एलान किया। कांग्रेस ने सरकारी भर्तियों में महिलाओं की भागीदारी 25 प्रतिशत करने का वादा किया है। भाजपा ने यूपीपीएससी समेत सभी भर्तियों में महिलाओं की संख्या दोगुना करने का एलान कर दिया।

    भाजपा ने गरीब बेटियों की शादी के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान किया। सपा ने हर जिले में खेल सुविधाओं को बढ़ाने का वादा किया है। भाजपा ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में जिम व खेल मैदान खोलने का वादा किया है। भाजपा ने एमबीबीएस की सीटों को दोगुना करने का वादा किया है। भाजपा ने छह हजार डॉक्टर और 10 हजार पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती करने का एलान किया है।

    सपा ने कामधेनु योजना फिर से शुरू करने और वर्ष 2027 तक यूपी को 100 फीसदी साक्षर राज्य बनाने का चुनावी वायदा किया है। गरीबों के लिए समाजवादी कैंटीन व किराना स्टोर खोलने और बुनकरों, दर्जियों व असंगठित क्षेत्र के लोगों को पेंशन देने का भी वादा किया है। दोपहिया वाहन चालकों को एक लीटर पेट्रोल मुफ्त देने, गांवों में पेयजल की सुविधा के साथ ही वाईफाई सुविधा देने का वायदा कर जहां अखिलेश यादव ने वोटों की महफिल लूटने की कोशिश की है, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस और सपा के चुनावी वायदों के नहले पर अपना दहला रखने में एक पल का भी विलंब नहीं किया है।

    गौरतलब है कि वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना लोककल्याण संकल्प घोषणा पत्र जारी किया था और प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकालने का वादा किया था। तब अपने लोक-कल्याण संकल्प पत्र में भाजपा ने करीब 200 से ज्यादा संकल्प व्यक्त किए थे।

    राजनीतिक दलों के वायदों पर जनता कितना विश्वास करेगी, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन वायदों की जंग में भाजपा सब पर भारी पड़ती नजर आ रही है। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जीतने का उसका पांच साल का ट्रैक रिकॉर्ड भी है। ऐसे में ममता के शब्दों में यूपी में खेला होगा या यूपी का मतदाता एकबार फिर अपने समग्र विकास की चिंता करेगा, यह देखने वाली बात होगी।

    (लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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