भोपालः मध्यप्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस, जीत के लिए रणनीति बनाने में जुटी हैं. बीजेपी ने उपचुनाव वाली सीटों के प्रभारी मंत्रियों को उपचुनाव पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही क्षेत्र में विकास कार्य करने को कहा गया है.
बीजेपी ने बनाई ये रणनीति
भाजपा नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी उपचुनाव में कमलनाथ सरकार की वादा खिलाफी को भुनाने की कोशिश करेगी. पार्टी ने अपने नेताओं को निर्देश दिए हैं कि वह राजनीतिक कार्यक्रमों और भाषणों में कमलनाथ सरकार में किसान कर्ज माफी नहीं होना, बेरोजगार युवाओं से किया वादा पूरा ना होना, तबादला उद्योग बनना और 15 महीने की कमलनाथ सरकार को कुशासन बताने को प्राथमिकता दें.
भाजपा महामंत्री भगवानदास सबनानी ने बताया कि जिन मंत्रियों, नेताओं को उपचुनाव वाली सीटों का प्रभार दिया गया है, उन्हें विकास पर फोकस करने को कहा गया है. साथ ही क्षेत्र में नए विकास कार्य कराने के भी निर्देश दिए गए हैं.
इन नेताओं को दी गई जिम्मेदारी
बता दें कि खंडवा लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीट नेपानगर की जिम्मेदारी मंत्री तुलसी सिलावट, बुरहानपुर की मंत्री इंदर सिंह परमार, मांधाता की मंत्री विजय शाह, खंडवा सीट की मंत्री कमल पटेल, पंधाना सीट की मंत्री मोहन यादव, बागली सीट की मंत्री उषा ठाकुर, भीकनगांव सीट और बड़वाह सीट की जिम्मेदारी मंत्री जगदीश देवड़ा को दी गई है.
वहीं पृथ्वीपुर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी बीजेपी ने मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, रैगांव सीट की मंत्री रामखिलावन पटेल, बिसाहूलाल सिंह और बृजेंद्र प्रताप सिंह, जोबट सीट की मंत्री विश्वास सारंग, प्रेम सिंह पटेल को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कांग्रेस को सहानुभूति का सहारा
उपचुनाव खंडवा लोकसभा सीट और पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा सीटों पर होना है. इनमें से दो सीटें कांग्रेस और दो सीटें बीजेपी के पास थीं. अब उपचुनाव में कांग्रेस को उम्मीद है कि सहानुभूति के चलते उन्हें उनकी दो सीटें आसानी से वापस मिल जाएंगी.
कांग्रेस प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने बीते दिनों कहा था कि पृथ्वीपुर और जोबट विधायकों की असमय मौत के बाद पार्टी को लोगों की सहानुभूति मिलेगी. इसके साथ कांग्रेस ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटी है. दरअसल पार्टी ने एमपी कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के विभिन्न जिलों में पदाधिकारी नियुक्त कर दिए हैं. इन पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह ओबीसी वर्ग को पार्टी के साथ जोड़ें.
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