उज्जैन। जीत के दावे करने वाले संतोष व्यास और विजय अग्रवाल कल आखिरकार बैठ गए। उनके द्वारा जनसंपर्क भी शुरु कर दिया गया था और दोनों ही कह रहे थे कि वे चुनाव लड़ेंगे लेकिन कल दोपहर में नाम वापिस लिया। भाजपा आज से शेष बचे करीब 12 बागियों को बाहर का रास्ता निकालने की तैयारी कर रही है। कल नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि थी और उसके बावजूद भी भाजपा के वार्ड के कई नेताओं ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। कुछ वार्डों में यह भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकते हैं हालांकि भाजपा ने कल घोषणा कर दी थी कि जो भी अधिकृत उम्मीदवार के सामने चुनाव लड़ेगा, उसे 6 वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा। नामांकन लेने के अंतिम तिथि के बाद ही कौन उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा यह स्थिति स्पष्ट हो गई है। भाजपा के करीब एक दर्जन बागी नेता चुनाव मैदान में हैं। यह कार्यकर्ता कल समझाने के बाद भी नहीं बैठे। ऐसे में अब भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों को इन वार्डों में तकलीफ उठानी पड़ेगी। वार्ड क्रमांक 5, 9, 10, 23, 33, 42, 44, 47, 49, 50, 51 और 53 में भाजपा में काम करने वाले कार्यकर्ता ही बागी बनकर खड़े हुए हैं।
इनमें सबसे अधिक तकलीफ वार्ड क्रमांक 5 जहां निर्दलीय के रूप में भाजपा के अशोक सिंह गहलोत और वार्ड क्रमांक 33 में भगवान सिंह गौंड, पूर्व एमआईसी सदस्य राधेश्याम वर्मा, नगर की मंत्री रही अचला शर्मा और आरती खरे जैसे और कई नाम हैं जो भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। आज संभावना है कि इन सब का निलंबन हो जाएगा। 6 वर्ष के लिए पार्टी से निलंबित करने का पत्र पहले ही निकल चुका है। अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लडऩे वालों के नाम भारतीय जनता पार्टी प्रदेश ने जिला अध्यक्षों से मांगे हैं। संभवत: 1 या 2 दिन में नामों की सूची भोपाल भेज दी जाएगी और वहीं से बागी लड़ रहे कार्यकर्ताओं का निलंबन आदेश आएगा। वार्ड 9 संतोष आंचलिया, वार्ड 23 रितेश खाबिया, वार्ड 33 भगवान सिंह गौंड जो अभी भाजपा जनजाति प्रकोष्ठ का अध्यक्ष हैं। वार्ड 42 गोकुल राधेश्याम वर्मा, वार्ड 44 मोनिका जैन, वार्ड 47 अचला शर्मा ये भाजपा की नगर मंत्री रह चुकी हैं। वार्ड 49 में विपुला शानू टांक, वार्ड 50 में अमृता अरुण देशपांडे, 51 में आरती खरे, वार्ड 53 में राजेश सोलंकी भाजपा के मंडल महामंत्री रह चुके हैं वे अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा रहे हैं।
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