भोपाल। मप्र में अलगे साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना है। यानि अब इसमें 10 महीने से भी कम का समय बचा है। जिसकी तैयारियों में दोनों दल भाजपा और कांग्रेस जुट गए हैं। इतना ही नहीं दोनों दल रूठे हुए कार्यकर्ताओं को भी मनाने में जुट गए हैं। भाजपा की बात करें तो वह अपने नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए अभियान चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा संगठन में अनदेखी और अपमान से नाराज चल रहे असंतुष्ट नेताओं को साधने के लिए पार्टी एक कमेटी बनाकर उन्हें साधेगी। रुठे कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए भाजपा जनवरी से अभियान चलाएगी। अभियान के दौरान कमेटी नाराज नेताओं से उनकी नाराजगी के कारण पूछा जाएगा। कारणों को जानने के बाद कमेटी मनाने का प्रयास करेगी। संगठन सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने भी पिछले दिनों हुई बैठक में इस तरह की वर्किंग पर जोर देने के निर्देश प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्रियों को दिए हैं।
संगठन सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने भी पिछले दिनों हुई बैठक में इस तरह की वर्किंग पर जोर देने के निर्देश प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्रियों को दिए हैं। संगठन ने कहा है कि चुनाव के समय ही नाराज नेताओं की पूछ परख करने से उनमें यह भावना बनी रहती है कि चुनाव के कारण ही संगठन उनसे संवाद कर रहा है और उनकी पूछ परख बढ़ा रहा है। ऐसे में भी वरिष्ठ नेताओं की समझाइश पर मान तो जाते है। इसलिए प्रदेश संगठन से कहा गया है कि इसके लिए दिसंबर खत्म होने के पहले कमेटी बना दी जाए और जनवरी 2023 से इसके लिए काम शुरू कर दें, इसलिए केंद्रीय संगठन के निर्देश पर भाजपा जल्दी प्रदेश के संगठन प्रभारी की अध्यक्षता में कमेटी का ऐलान करेगी। जिसमें दो अन्य वरिष्ठ नेता रहेंगे जो सर्वमान्य छवि वाले हैं।
असंतुष्टों से बड़े नुकसान का अनुमान
प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जो नेता नाराज हैं वे संगठन की अनदेखी के साथ पंचायत और नगर निकाय चुनाव में अपने समर्थकों के लिए टिकट न दिखा पाने और संगठन की गाइडलाइन के चलते बगावत करने वाले समर्थकों के लिए काम नहीं कर पाने से असंतुष्ट हैं। इनके जख्म अभी हरे हैं और इसीलिए संगठन के लिए ऐन चुनाव तक इन्हें साधने के लिए पूरी ताकत लगानी होगी। भाजपा के मिशन 2023 की राह में असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी भी एक चुनौती है। भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के अमृत महोत्सव से यह बात साफ हो गई है। विश्नोई मंत्री पद के दावेदार भी हैं और इसी नाराजगी के चलते गाहे-बगाहे सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहते हैं।
कांग्रेस इन नेताओं पर डाल सकती है डोर
नगरीय निकाय चुनाव में ऐसे नेताओं के क्षेत्र में भाजपा को अनुकूल परिणाम नहीं मिले, यदि ऐसा हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इधर, एक संभावना यह भी है कि कांग्रेस इन नेताओं पर डोरे डालकर चुनावी माहौल बिगाडऩे की कोशिश कर सकती है। मध्य प्रदेश में दो दलीय सियासत के चलते कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के असंतुष्ट दिग्गजों का आ जाना चौंकाने जैसा नहीं होगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved