भोपाल। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार और संगठन का जोर अब असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने पर है। दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 51 फीसदी वोट को टारगेट रखा है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए पार्टी टॉप टू बॉटम जुटना चाहती है। इसलिए पार्टी की कोशिश है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मनमुटाव को हर हाल में दूर किया जाए। पार्टी की ओर से साफ संदेश दिया गया है कि पुरानी बातें भूलकर सभी को एकजुट होकर मिशन 2023 के लिए जुटना होगा। अपनी ही सरकार में तवज्जो न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करने की रणनीति बनाई गई है। नेताओं व कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए नौकरशाही की मनमानी पर भी अंकुश लगाया जाएगा।
दरअसल, पंचायत और निकाय चुनाव के दौरान कई क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजी देख पार्टी संगठन चिंतित हो गया है। आगामी विधानसभा चुनाव के पहले कार्यकर्ताओं की मान-मनौवल की कवायद भी शुरू की गई है। ग्राम पंचायत स्तर पर ऑन द स्पॉट समस्याएं सुलझाने जो मंत्री समूह पहुंचेगा उसे भी कार्यकर्ताओं को खुश करने का टास्क सौंपा जा रहा है। निकाय चुनाव के दौरान भाजपा को 16 नगर निगमों के महापौर चुनाव में 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 2-3 नगर निगमों से संगठन कार्यकर्ताओं के बारे में पार्टी को जो फीडबैक मिला है उससे भी गुटबाजी और उनके असंतोष का ब्यौरा सामने आया है। इसलिए संगठन के स्तर पर सभी जिलों में क्राइसिस मैनेजमेंट की कवायद शुरू की गई है।
कार्यकर्ताओं की खैर-खबर लेंगे मंत्री
भाजपा ने चुनाव से पहले धरातल पर किसी भी प्रकार की संवादहीनता, विवाद या मनमुटाव को समाप्त करने कर सभी प्रमुख व प्रभावशाली नेताओं को एक सूत्र में पिरोने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से मंत्री समूह के दो-दो सदस्य सभी जिलों में हितग्राहियों को योजना का लाभ दिलाने पहुंचेंगे। इसके साथ ही मौके पर ही समस्याओं का समाधान भी करेंगे। सत्ता-संगठन की ओर से इन मंत्रियों को भी कार्यकर्ताओं की खैर-खबर लेने और उन्हें खुश रखने को कहा गया है। संगठन ने यह भी संकेत दे दिए हैं जिन जिलों में कामकाज को लेकर ज्यादा शिकायतें मिली हैं। वहां जिलाध्यक्षों पर गाज भी गिर सकती है। बागी और भितरघाती लोगों की रिपोर्ट भी पार्टी मुख्यालय पहुंच गई है। हालांकि जिलाध्यक्षों का कार्यकाल भी पूरा होने के करीब है।
अब कमियां गिनाने का वक्त नहीं
बैठक में मिले फीडबैक के बाद संगठन ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कवायद शुरू की है। निगम, आयोग, बोर्ड और समितियों में नियुक्तियों के साथ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे भी वापस लेने की कवायद शुरू की जा रही है। वहीं मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र व प्रभार वाले जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद कर उन्हें संतुष्ट करनेे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तबादलों में भी नेताओं-कार्यकर्ताओं के वाजिब मामलों की सुनवाई करने को कहा गया है। मंत्रियों से दो टूक कहा कि अब नाराजगी जताने या कमियां गिनाने का वक्त नहीं है। पार्टी अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। पार्टी का एकमात्र उद्देश्य मप्र में फिर से भारी बहुमत से सरकार बनाना है। लिहाजा सब कुछ भूलकर चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
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