नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में मिले झटके के बाद भाजपा (BJP) अब नए सिरे से भविष्य की रणनीति (strategy) का तानाबाना बुनेगी। इसके तहत पार्टी की पहली कोशिश राज्यों में मतदाताओं के बीच नए सिरे से पैठ बनाने, विपक्ष की ओर से संविधान-आरक्षण (constitutional reservation) खत्म करने की बनाई गई धारणा को खत्म करने के लिए रणनीति बनाने की होगी। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए पार्टी ने पहले सभी राज्यों के संगठन मंत्रियों (Organization Ministers) और इसके तत्काल बाद पार्टीशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों (Chief Ministers0 की बैठक बुलाई है।
बृहस्पतिवार से शुरू हो रही संगठन मंत्रियों दो दिवसीय बैठक में पार्टी लोकसभा चुनाव के नतीजे की समीक्षा करेगी। इसके बाद अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए जरूरी सदस्यता अभियान के साथ मतदाताओं तक सीधी पहुंच की नई रणनीति तैयार करेगी। संगठन मंत्रियों की बैठक के बाद शनिवार-रविवार को पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, प्रदेश अध्यक्षों की बैठक होगी। इस बैठक में भी विपक्ष की बनाई धारणा को तोड़ने और नए प्रयास व प्रयोग करने पर मंथन होगा।
चुनावी राज्यों पर होगी चर्चा
इसी साल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी नेतृत्व ने इन चारों राज्यों में सामूहिक नेतृत्व में मैदान में उतरने का फैसला किया है। बृहस्पतिवार से होने वाली संगठन मंत्रियों की बैठक में इन चारों राज्यों की चुनावी रणनीति का भी तानाबाना बुना जाएगा।
पीएम की अहम बैठक
इन बैठकों के तत्काल बाद केरल में संघ के साथ 31 जुलाई से तीन अगस्त तक पार्टी की समन्वय बैठक होगी। लोस चुनाव के बाद संघ और भाजपा की यह पहली अहम बैठक होगी। इसमें भी भावी रणनीति व नए अध्यक्ष पद पर चर्चा होगी। इस बैठक से पहले बुधवार को पीएम की अगुवाई में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के बीच करीब दो घंटे की मैराथन बैठक हुई।
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