भोपाल। भाजपा मध्य प्रदेश (BJP Madhya Pradesh) में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के फॉर्मूले पर उपचुनाव लड़ेगी। वो आदिवासियों के मुद्दों को उपचुनाव में कैश कराएगी। ये वो मुद्दे हैं जो 18 सितंबर को शाह के दौरे के दौरान उठे थे। अमित शाह (Amit Shah) के कार्यक्रम में की गई 18 घोषणा को चुनावी मुद्दा बनाएगी। भाजपा (BJP) की राज्यसभा सांसद संपतिया उइके ने कहा है पार्टी प्रदेश के उप चुनाव वाले चारों इलाकों में इन 18 बिंदु वाली घोषणाएं घर घर पहुंचाएगी। घर-घर जाकर आदिवासी हितैषी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी और जो आदिवासी इन योजनाओं से वंचित होगा उसे जोड़ा जाएगा। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ, आजीविका सहित जो बड़े फैसले लिए गए हैं उन्हें उपचुनाव में आदिवासियों को बताया जाएगा।
जबलपुर में किए वादों पर फोकस
उपचुनाव से पहले पिछले महीने अमित शाह ने जबलपुर में आदिवासी हित में कई बड़े ऐलान किए थे। उन्होंने छिंदवाड़ा में संग्रहालय बनाने के साथ ही प्रदेश सरकार की आदिवासी घोषणाओं पर तेजी से अमल करने की बात कही थी। सीएम शिवराज ने भी अमित शाह की मौजूदगी में वादों का पिटारा खोल दिया था। जनजातीय युवाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए गाड़ी से राशन भेजने का ऐलान किया था। सामुदायिक वन प्रबंधन से लेकर मुख्यमंत्री ने देवारण्य योजना और ओषदीय पादप बोर्ड के गठन की भी घोषणा की थी। पार्टी की कोशिश उप चुनाव वाली सीटों पर आदिवासी वोट साधने की है।
ऐसा है आदिवासी समीकरण
प्रदेश की आदिवासी सीट जोबट के अलावा खंडवा लोकसभा सीट में भी बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर हैं। खंडवा लोकसभा क्षेत्र में बुरहानपुर, नेपानगर, खंडवा, पंधाना, मांधाता के अलावा देवास जिले की बागली और खरगोन की भीकन गांव और बड़वाह विधानसभा सीट शामिल है। बागली, खंडवा और पंधाना में आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है। खंडवा लोकसभा सीट पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में होंगे। यही कारण है कि अमित शाह ने आदिवासियों के लिए बड़ी घोषणाएं की और अब पार्टी उन्हें चुनावी एजेंडा बना रही है।
कांग्रेस को 2018 का भरोसा
कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत को उपचुनाव में कैश कराने की तैयारी में है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस को खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों में भाजपा के मुकाबले अच्छी बढ़त हासिल हुई थी। हालांकि मांधाता और नेपानगर विधायक दल बदल कर भाजपाचले गए और फिर हुए उपचुनाव दोनों सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गयीं। फिर भी कांग्रेस को 2021 के लोकसभा सीट के उपचुनाव में आदिवासी वोटरों से खासी उम्मीद है।
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