नई दिल्ली (New Delhi) । छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Elections) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की केन्द्रीय चुनाव समिति (Central Election Committee) की मीटिंग में लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवारों (candidates) के नामों को लेकर चर्चा हुई. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने 21 सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है. बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति के बैठक में बाकी सीटों पर चर्चा हुई. छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश का फॉर्मूला छत्तीसगढ़ में भी अपनाया जा सकराता है. जिसमें कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है.
बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित कई भाजपा नेता सीईसी बैठक के लिए राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे. रविवार को आयोजित यह बैठक छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित की गई थी. बीजेपी नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी बैठक स्थल पर पहुंचीं थीं. पार्टी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रह्लाद जोशी भी पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे. इस बैठक से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर पहुंचे थे.
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और राज्य पार्टी प्रमुख अरुण साव सहित छत्तीसगढ़ भाजपा नेता भी सीईसी की बैठक के मद्देनजर दिल्ली पहुंचे थे, जिसमें राज्य की शेष विधानसभा सीटों के लिए नामों को अंतिम रूप देने की उम्मीद जताई गई थी. रविवार की बैठक से पहले बीजेपी की सीईसी ने राज्य चुनावों के मौजूदा दौर के लिए पार्टी के उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए दो बार बैठक की. इनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीटों पर चर्चा की गई थी, जिनमें विशेष रूप से उन सीटों पर चर्चा हुई थी, जो कांग्रेस के पास थीं. कांग्रेस राजस्थान के अलावा दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए मुख्य चुनौती है.
भाजपा ने अब तक 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव के लिए 79 और छत्तीसगढ़ में 90 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए 21 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. यह घोषणा पार्टी के पहले की कार्यशैली से अलग है क्योंकि बीजेपी आम तौर पर चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने के बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा करती रही है. उम्मीदवारों के नाम की पहले की गई घोषणा से उनको अपने चुनाव अभियान को चलाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकता है. यह रणनीति खासकर इसलिए अपनाई गई है क्योंकि बीजेपी ने अब कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है.
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