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    इस सीट पर हार का हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी ने लिया सबक, सपा के लिए आसान नहीं राह

  • October 28, 2024

    अम्बेडकरनगर: उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले की कटेहरी विधान सभा सीट पर बीजेपी ने इस बार मजबूत दांव चला है. पिछले तीन चुनावों से जारी हार के सिलसिले को तोड़ने के लिए बीजेपी ने बसपा के पूर्व विधायक और मंत्री धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया है. जबकि बीजेपी ने सांसद शोभावती वर्मा पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने पिछले चुनावों से सबक लेते हुए जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश की है, जिसकी वजह से इस सीट पर उपचुनाव में मुकाबला काफी दिलचस्प दिख रहा है.

    अगर कटेहरी विधानसभा सीट पर हुए पिछले तीन चुनावों की बात करें तो 2012 समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शंखलाल मांझी ने बसपा सरकार कैबिनेट मंत्री रहे लालजी वर्मा को हरा दिया था. लेकिन 2017 में लालजी वर्मा इसी सीट से बसपा से विधायक बने और उन्होंने बीजेपी लहर में पहली बार चुनाव लड़ रहे अवधेश द्विवेदी को लगभग 6300 मतों से हराया. लेकिन 2022 चुनाव से पहले मायावती ने लालजी वर्मा को पार्टी से निष्काषित कर दिया. उसके बाद लालजी वर्मा सपा में शामिल हो गये. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने लालजी वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया. बीजेपी ने एक बार फिर अवधेश द्विवेदी को अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन अवधेश द्विवेदी लालजी वर्मा से 7300 मतों से चुनाव हार गए. दोनों बार लालजी वर्मा ने ही बीजेपी प्रत्याशी को हराया.

    अगर 2017 के चुनाव की बात करें तो लालजी वर्मा के सामने तीन सवर्ण प्रत्याशी थे, जिससे बीजेपी के मतों का विभाजन हो गया. बीजेपी से अवधेश द्विवेदी, सपा से जयशंकर पांडेय और निषाद पार्टी से अजय सिपाही चुनाव मैदान में थे. तब लालजी वर्मा महज 6300 मतों से विजयी हुए थे, जबकि 2022 के चुनाव में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े. बीजेपी से अवधेश द्विवेदी और बसपा से प्रतीक पांडेय चुनाव मैदान थे. इस चुनाव में प्रतीक पांडेय के कारण बीजेपी के ब्राह्मण मतों में बिखराव हुआ और उसे हार का सामना करना पड़ा. इसलिए बीजेपी इस उपचुनाव में कटेहरी विधानसभा से तीन बार बसपा से विधायक और मंत्री रहे धर्मराज निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. अब इस सीट पर लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है.


    कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में विकास और बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. इसके साथ ही कटेहरी रेलवे स्टेशन पर एक भी ट्रेन न रुकना भी बड़ा मुद्दा है. जनता कटेहरी को नगर पंचायत बनाने की मांग भी कर रही है. इस क्षेत्र में रोजगार के साधन न के बराबर है. कृषि पर आधारित इस क्षेत्र में रोजगार का साधन सिर्फ कृषि ही है. सरयू नदी के किनारे होने के कारण कुछ क्षेत्र प्रति वर्ष बाढ़ से प्रभावित भी होते है. इसके अलावा छुट्टा जानवर, ख़राब सड़के और बिलजी, पानी भी एक मुद्दा है.

    बसपा से सपा में आये लालजी वर्मा 2022 के चुनाव में यहां से विधायक चुने गए थे. फिर 2024 लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें अम्बेडकरनगर सीट से प्रत्याशी बना दिया. लालजी वर्मा चुनाव जीतकर सांसद बन गए. जिसके कारण कटेहरी की सीट खाली हो गयी. लोकसभा चुनाव में सपा को पांचों विधानसभा सीटों में कटेहरी में सबसे कम वोटों से बढ़त मिली थी. कटेहरी में जातिगत आधार पर ही चुनावी गणित बनती बिगड़ती है. यहां उप चुनाव में जाति फैक्टर ही अहम भूमिका निभाएगा. शायद इसीलिए तीनों प्रमुख पार्टियों ने ओबीसी उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतारे हैं.

    कटेहरी विधानसभा के हर चुनाव में जातीय समीकरण हावी रहता है. यहां सबसे अधिक संख्या अनुसूचित जाति के मतदाता है और दूसरे नंबर पर ब्राम्हण. कटेहरी में लगभग 04 लाख मतदाता है, जिसमें पुरुष –210568 और महिला मतदाता –190306 है. अनुसूचित जाति-95000, ब्राम्हण-50000, क्षत्रिय 30000, कुर्मी-47000, मुस्लिम- 40000, यादव- 22000, निषाद- 30000, मौर्य-10000, राजभर-20000, बनिया-15000, पाल-7000, कुम्हार-6000, नाइ-8000, चौहान-5000, विश्वकर्मा-4000 और अन्य-10285.

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