img-fluid

भाजपा उपचुनावों में हार का कारण ढूंढ रही थी, विपक्ष ने बैठे बिठाए दे दिया हिंदू-मुस्लिम और भारत-पाक का मुद्दा

November 16, 2021

लखनऊ। हाल ही में हुए उपचुनावों में भाजपा को कुछ राज्यों में मिली करारी हार की वजह को टटोला ही जा रहा था कि उसे बैठे-बिठाए विपक्ष ने ऐसा मुद्दा दे दिया. जिसे भाजपा ने हाथोंहाथ लपक लिया है। इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का ‘जिन्ना’ को लेकर दिया गया बयान भी शामिल है, और कांग्रेस नेता राशिद अल्वी के राम और राक्षसों वाले बयान से लेकर सलमान खुर्शीद की किताब के विवादित अंश और राहुल गांधी का हिंदुत्व की परिभाषा के साथ शिव की व्याख्या शामिल है।

बढ़ती हुई महंगाई, किसान आंदोलन और अंदरूनी रस्साकशी, इनमें कौन सा बड़ा कारण रहा, जो उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी का हार का बड़ा कारण बना। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी मंथन कर रहे थे, ताकि अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसका खामियाजा न भुगतना पड़े। इसके लिए कमेटियों का गठन कर दिया गया था। राज्यों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की टीम बना दी गई थी।

ताकि उपचुनावों के नतीजों का दुष्प्रभाव चुनावी राज्यों में न पड़े। लेकिन पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिन्ना को देश की आजादी दिलाने वाला बताकर भाजपा के हाथों में एक बहुत बड़ा मुद्दा दे दिया। राजनीतिक विश्लेषक एचएन शुक्ला कहते हैं कि बस उसी दिन से भाजपा ने अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान को हर रैली जनसभा और बैठकों में उठाना शुरू कर दिया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को जिन्ना देशभक्त लगते हैं, क्योंकि अखिलेश यादव को पाकिस्तान और जिन्ना से बहुत प्यार है।

वे कहते हैं ऐसे नेताओं और उनकी पार्टियों से लोगों को न सिर्फ बचना चाहिए बल्कि उन्हें सत्ता में कभी आने का कोई अधिकार भी नहीं मिलना चाहिए। अब तो हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और देश के बड़े-बड़े नेता अपनी जनसभाओं में अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान और पाकिस्तान का नाम लेकर हमलावर रहते हैं। राजनैतिक विश्लेषक शुक्ला कहते हैं कि भाजपा जो अपनी हार के कारणों की वजह टटोल रही थी, ऐसे वक्त में अखिलेश यादव ने जिन्ना वाला बयान देकर उसे मूल मुद्दे से हटाकर ऐसे मुद्दे में लगा दिया जो हिंदू-मुस्लिम, देशभक्ति आजादी समेत भारत-पकिस्तान में फंस गया।


अखिलेश ही नहीं राजभर ने भी दिया भाजपा को मुद्दा
मुद्दा सिर्फ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने नहीं दिया। ऐसे मौके पर कभी भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े रहने वाले और अब अखिलेश यादव के साथ चुनावी करार करने वाले सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने तो यह तक कह दिया कि जिन्ना अगर आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश का बंटवारा ही नहीं होता। बस फिर क्या था। भाजपा ने राजभर के बहाने सपा को भी अपनी चुनावी रैलियों में देशभक्ति और हिंदुत्व के नाम पर भारत-पाकिस्तान का मुद्दा उठाकर कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया।

कांग्रेस नेता भी कम ‘बयानवीर’ नहीं
चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस के नेता भी कुछ न कुछ ऐसा बोल ही जाते हैं, जिसे भाजपा हिंदू-मुस्लिम और भारत-पाकिस्तान के साथ जोड़ देती है। हाल में कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने अपने संबोधन में राम और राक्षसों की तुलना करने जैसा एक बयान दे दिया। बस फिर क्या था भारतीय जनता पार्टी को एक और मुद्दा मिल गया। राशिद अल्वी के बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी अपने उन सभी राज्यों में कांग्रेस को हिंदुओं और राम का विरोधी बताकर प्रचारित-प्रसारित करने लगी। कांग्रेस के लिए यही स्थिति थोड़ी असहज जरूर हुई और पार्टी इसका डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर ही रही थी कि सलमान खुर्शीद की नई किताब सामने आ गई।

भाजपा का आरोप है कि सलमान खुर्शीद की इस किताब में हिंदुओं के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द न सिर्फ अपमानित करने वाले हैं बल्कि हिंदुत्व की तुलना दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हराम से कर दी। इन्हीं आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी अब सलमान खुर्शीद समेत कांग्रेस को लेकर जगह-जगह मीटिंग, कार्यक्रमों और रैलियों में हिंदू विरोधी छवि के तौर पर न सिर्फ पेश कर रही है, बल्कि इसे मुद्दा बनाकर आगे भी बढ़ा रही है। सिर्फ सलमान खुर्शीद और राशिद अल्वी ही नहीं कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी भी इस दौरान कुछ ऐसा बोल गए, जो भाजपा को बड़े मुद्दे के तौर पर मिल गया। दरअसल राहुल गांधी के हिंदुत्व और शिव की व्याख्या को लेकर दिए गए बयान को भाजपा हिंदुत्व का अपमान बता रही है। और इसको लेकर अपनी सभी जनसभाओं में मुद्दे के तौर पर प्रचारित प्रसारित कर रही है।

…लेकिन असली मुद्दा तो महंगाई और किसानों के सवाल हैं
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता प्रोफ़ेसर जसविंदर सोढ़ी कहते हैं कि हकीकत में चुनाव में मुद्दा महंगाई से लेकर बढ़ती हुई पेट्रोल-डीजल की कीमतें और किसानों का आंदोलन है। वे कहते हैं कि लोगों के बीच में इन दोनों मामलों की चर्चा भी खूब हो रही है। विपक्ष बी सत्तापक्ष को इन्हीं मामलों में घेरने और बचाव करने की अपनी रणनीतियां भी बना रहा है, लेकिन कई बार विपक्षी पार्टियों के नेताओं के ऐसे बयान सामने आते हैं जो असली मुद्दों को भटका देते हैं।
प्रोफेसर जसविंदर के मुताबिक निश्चित तौर पर अगर पब्लिक से जुड़े हुए मुद्दे चुनाव में शामिल किए जाएं तो सरकारों के बदलने में कोई देर नहीं लगती। वे कहते हैं कि दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार बढ़ी हुई कीमतों की वजह से चली गई थी। तो ऐसा नहीं है कि विपक्षी पार्टियां महंगाई और जरूरत के मुद्दों को दरकिनार करना चाहती हैं, लेकिन गाहे-बगाहे उनके बयान सत्तापक्ष को वह बहुत बड़ा हथियार दे देते हैं, जिससे असली मुद्दे छुप जाते हैं।

Share:

अफगानिस्तान को स्थापित करने में चीन की नई चाल, पाकिस्तान में हुई बैठक के बाद हुआ फैसला

Tue Nov 16 , 2021
नई दिल्ली। पिछले सप्ताह पाकिस्तान में अफगानिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। बैठक में अफगानिस्तान को फिर से स्थापित करने के लिए पाकिस्तान और चीन ने पूरी दुनिया के सामने एक ऐसे ब्लू प्रिंट के साथ अफगानिस्तान को पेश करने का मसौदा तैयार किया, जो तालिबानियों को स्थापित करने में मदद करे। […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved