नई दिल्ली (New Delhi) । 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) में अब महज एक साल बाकी है। जल्द ही पूरे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युद्ध जैसी तैयारी दिखाई देगी। भाजपा के पास यहां बीते दो लोकसभा चुनावों की तरह ही अपने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। भगवा पार्टी ने चुनावी दंगल में विरोधियों को पटखनी देने के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इसके लिए सबसे बड़ा लक्ष्य जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का लक्ष्य रखा गया है।
भाजपा ने इसके लिए अपने आउटरीच कार्यक्रमों और पार्टी की गतिविधियों पर निगरानी के लिए हर लोकसभा क्षेत्र को समूहों में बांटा है। केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ पार्टी के बड़े नेताओं को मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है। प्रत्येक क्लस्टर में 3-5 लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें नेताओं के तीन समूह होंगे। इसे ए, बी और सी में बांटा गया है।
किस ग्रुप में कौन नेता
ग्रुप ए में पार्टी की राष्ट्रीय टीम के नेता यानी कि केंद्रीय मंत्री और विभिन्न राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं। ये सभी सौंपे गए क्लस्टर के मुताबिक लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे। इस दौरान जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेता और अन्य राज्यों के सांसद ग्रुप बी में हैं। ग्रुप सी में राज्यों के स्थानीय नेतओं को रखा गया है।
सभी ग्रुप के अलग-अलग काम
भाजपा के एक नेता का कहना है, ”ग्रुप सी जमीन पर काम करेगा और पार्टी के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा। ग्रुप बी इन कार्यक्रमों और संगठन के मामलों की निगरानी करेगा। ग्रुप ए के नेता सभी संगठनात्मक टीमों के कार्यकर्ताओं से मिलने, जनसभाएं करने, स्थानीय निवासियों की शिकायतों को दूर करने, संभावित सत्ता विरोधी लहर का विश्लेषण करने, उचित उपाय सुझाने और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेंगे।” उन्होंने कहा कि यह नई व्यवस्था 30 मई से शुरू हो जाएगी। नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर पार्टी का महासंपर्क अभियान शुरू होने वाला है।
रघुबर, नितिन पटेल सहित कई दिग्गज बनाएंगे रणनीति
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को उत्तर प्रदेश की डुमरियागंज, गोरखपुर, कुशीनगर और महराजगंज सहित चार लोकसभा सीटों वाले क्लस्टर के लिए ग्रुप ए में शामिल किया गया है। राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार क्लस्टर के ग्रुप बी में हैं, जबकि गोरखपुर के उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव ग्रुप सी में हैं। इसी तरह गुजरात के पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल के हिस्से में पांच लोकसभा सीटें हैं। उन्हें यूपी की कैराना, मुजफ्फरनगर के साथ ही उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार और गढ़वाल सीट मिली है। बिहार से आने वाले राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को यहां ग्रुप बी में शामिल किया गया है। वहीं, बुलंदशहर के पूर्व जिला अध्यक्ष डीके शर्मा इसी क्लस्टर के ग्रुप सी में हैं।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हिस्से में पांच लोकसभा सीट है। वे बांसगांव, देवरिया, बलिया, आजमगढ़ और सलेमपुर में ग्रुप ए की जिम्मेदारी संभालेंगे। बीजेपी की अल्पसंख्यक शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी इन सीटों पर ग्रुप बी में हैं, जबकि कुशीनगर के पूर्व जिलाध्यक्ष जय प्रकाश शाही ग्रुप सी में हैं।
एमपी के मंत्रियों को भी यूपी भेजा जाएगा
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मोहन यादव के पास चार सीटों की जिम्मेदारी है। गोंडा, कैसरगंज, सीतापुर और बहराइच सीट पर अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा को ग्रुप बी में रखा गया है। बाराबंकी के पूर्व जिला अध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव यहां ग्रुप सी में रहेंगे। मध्य प्रदेश के एक और मंत्री विश्वास सारंग को खेरी, मिश्रिख, धौरहरा और हरदोई सीट की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव दीप्ति भारद्वाज यहां ग्रुप बी में होंगी। वहीं, लखनऊ के पूर्व जिला अध्यक्ष राम निवास यादव ग्रुप सी में होंगे।
भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य पांच सीटों- गौतम बौद्ध नगर, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर और मेरठ की जिम्मेदारी संभालेंगे। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह राणा यहां ग्रुप बी में और पश्चिमी यूपी के महासचिव हरिओम शर्मा ग्रुप सी में होंगे।
ग्रुप ए में ये नेता
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, अश्विनी वैष्णव, नरेंद्र सिंह तोमर, जितेंद्र सिंह, मीनाक्षी लेखी, अन्नपूर्णा देवी, एसपी सिंह बघेल सहित पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और यूपी के प्रभारी राधा मोहन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन को ग्रुप ए में रखा गया है।
भाजपा के एक नेता का कहना है, ”ये नेता आठ महीने तक अपने-अपने क्लस्टर में सक्रिय रहेंगे। इसके बाद वे अपने गृह राज्यों में राजनीतिक कामकाज देखेंगे। उनमें से कई को अपने चुनाव की तैयारी खुद करनी होगी। केंद्रीय मंत्रियों सहित वरिष्ठ नेताओं के नियमित दौरे से जमीनी स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने और हर गांव और कस्बे में भाजपा की उपस्थिति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।”
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