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सिंधिया की तरह दिग्विजय की घेराबंदी में जुटी भाजपा

July 18, 2020

  • पुलिस में केस दर्ज कराने से लेकर अपराधियों से संबंध होने के गंभीर आरोप

भोपाल। प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के बाद पार्टी में सबसे ज्यादा जनाधार वाले नेता दिग्विजय सिंह हैं। खासकर उनकी ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में अच्छी खासी पकड़ है। दोनों संभाग की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है। ऐसे में उपचुनाव से पहले भाजपा के साधारण कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेताओं की ओर से दिग्विजय सिंह पर चौतरफा हमले शुरू हो गए हैं। इसे भाजपा की उपचुनाव की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी तरह दो साल पहले विधानसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा ने कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की घेराबंदी की थी।

पिछले एक महीने के भीतर भारतीय जनता पार्टी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस में सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जुड़ा फेक वीडियो अपलोड करने के मामले में केस दर्ज कराया है। वहीं भाजपा के आईटी सेल के प्रदेश समन्वयक शिवराज सिंह डाबी का अमेरिका खुफिया एजेंसी से जुड़ी ट्वीट करने पर डाबी ने पिछले महीने दिग्विजय सिंह के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। अब डाबी ने दिग्विजय को मानहानि का नोटिस भेजा है। डाबी ने अधिवक्ता भानु प्रकाश भार्गव के माध्यम से मानहानि का विधिक सूचना पत्र प्रेषित कराया है, जिसमे दिग्विजय सिंह से मांग की गई है कि 15 दिवस में वे शिवराज सिंह डाबी के लिए कहे गए अपमानजनक शब्द जैसे ‘तड़ीपार, ‘फ्रॉड’ इत्यादि किस आधार पर कहाँ है। दिग्विजय सिंह इसे साबित कर स्पष्टीकरण दें और शिवराज सिंह डाबी से लिखित रूप में माफी मांगे और उक्त माफीनामा अपने ट्वीट पर प्रकाशित करे। ऐसा नही करने पर शिवराज सिंह डाबी अधिवक्ता के माध्यम से सक्षम न्यायालय में दिग्विजय सिंह के विरुद्ध अपराधिक-व्यवहारिक मानहानि का मुकदमा पेश करेंगे। इससे पहले दिग्विजय सिंह सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जुड़ा वीडियो पोस्ट करने के मामले में सफाई दे चुके हंै कि उन्हें वीडियो सोशल मीडिया से मिला था। उस समय यह भी तथ्य सामने आया था कि जो वीडियो दिग्विजय ने ट्वीट किया था, वह जबलपुर रेंज महानिरीक्षक ने सोशल मीडिया पर डाला था। हालांकि उनकी तरफ से सफाई दी गई थी कि वह गलती से पोस्ट हुआ था, जबकि वे उसे सरकार तक पहुंचाना चाहते थे।

पुलिस ने न तो पूछताछ की, न नोटिस भेजा
वीडियो पोस्ट करने के मामले में भोपाल पुलिस ने दिग्विजय के खिलाफ मामला तो दर्ज किया था, लेकिन न तो उनसे पूछताछ की और न ही नोटिस जारी किया। इसी तरह शिवराज सिंह डाबी की शिकायत पर भी भोपाल क्राइम ब्रॉच ने दिग्विजय के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि डाबी ने उन्हें मानहानि का नोटिस भेज दिया है।

इसलिए दिग्विजय की घेराबंदी
सिंधिया के बाद दिग्विजय ही कांग्रेस में ऐसे नेता हैं, जिनकी ग्वालियर-चंबल में पकड़ है। यही वजह है कि भाजपा ने दिग्विजय को घेरने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। हाल ही में गुना के कैंट थाना क्षेत्र में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस द्वारा दलित दंपति पर हमले की घटना को भी दिग्विजय सिंह जोड़ा जा रहा है। भूमाफिया डब्बू पारधी ने ही सालों से जमीन पर कब्जा किया है। उसके खिलाफ दो दर्जन करीब अपराधिक मामले दर्ज हैं। गुना पुलिस ने पारधी का अपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक किया तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने यह मांग कर दी कि पारधी और दिग्विजय के संबंधों की जांच की जाए। लगे हाथ शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिख दिया। दिग्विजय ने जांच का समर्थन करते हुए भाजपा सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए कि 15 सत्ता में रहे फिर भी पारधी को एक बार भी जिलाबदर क्यों नहीं किया गया।

तब सिंधिया थे निशाने पर
2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में थी। तब भाजपा ने सिंधिया की हर तरह से घेराबंदी की थी। विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले मुंगावली और कोलारस में हुए उपचुनाव के दौरान अशोकनगर में सिंधिया के करीबी रहे केपी यादव (गुना से सांसद)को भाजपा में शामिल किया। उन्हें विधानसभा चुनाव भी लड़ाया, लेकिन वे हार गए। बाद में लोकसभा चुनाव में केपी यादव को गुना संसदीय सीट से सिंधिया के खिलाफ उतारा। सिंधिया के खिलाफ प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र भी। जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत ने अमित शाह ने गुना एवं शिवपुरी में रोड शो भी किया था। मप्र भाजपा ने सिंधिया को अंग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई से जोड़कर भी तीखे हमले किए। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सिंधिया पर हमले जरूर किए थे, लेकिन भाजपा चुनावी रणनीत में सफल नहीं हो पाई। सिंधिया के गढ़ ग्वालियर चंबल में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा। कांग्रेस को 34 में से 26 सीट मिली थी। इनमें से 15 विधायक सिंधिया के कहने पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इन सीटों पर उपचुनाव होना है।

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