नई दिल्ली(New Delhi) । पश्चिम बंगाल (West Bengal)में लगातार तीसरी बार बीजेपी(BJP for the third time) को झटका लगा है। 2021 के विधानसभा चुनाव (assembly elections)में बीजेपी को हार (BJP loses)का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को झटका लगा और उसकी सीटें 2019 से भी कम हो गईं। अब चार सीटों पर हुए उपचुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने बीजेपी का सूपड़ा ही साफ कर दिया। चारों सीटों पर टीएमसी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की और वहीं भाजपा दूसरे नंबर पर रही। हालांकि ज्यादातर सीटों पर मार्जिन बहुत था। बीजेपी ने चुनाव में धांधली और पक्षपात के आरोप लगाए हैं और कहा है कि इसकी शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग से की थी।
मानिकताला सीट पर टीएमसी की जीत की वजह
कोलकाता की मानिकताला सीट पर टीएमसी की सुप्ती पांडे ने 62,312 वोटों से जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी के कल्याण चौबे को हराया। इससे पहले इस सीट पर पांडे के पति साधन पांडे तीन बार जीत चुके हैं। लगातार 2011, 2016 और 2021 के चुनाव में वह जीते थे। हालांकि इस बार जीत का अंतर भी काफी बढ़ गया है। साधन पांडे के निधन के बाद इस सीट पर चुनाव करवाए गए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि पति की मौत की संवेदना भी सुप्ती पांडे को मिली और उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
रायगंज सीट पर काम आ गई टीएमसी की रणनीति
उत्तर दीनाजपुर की रायगंज सीट पर टीएमसी की कृष्णा कल्याणी ने 50 हजार से ज्यादा के अंतर से जीत दर्ज की। वह पहले भी इस सीट पर जीत चुकी थीं। हालांकि पहले वह बीजेपी के टिकट से लड़ी थीं। लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्होंने विधायक के तौर पर अपना इस्तीफा दे दिया था। टीएमसी ने एक बार फिर उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया। इस बार चुनाव में जहां कल्याणी को 86479 वोट मिले तो बीजेपी प्रत्याशी को 36402 वोट ही मिले। ऐसे में यहां पर टीएमसी की रणनीति काम आ गई। जाहिर सी बात ही है कि इस क्षेत्र में कल्याणी की लोकप्रियता रही होगी जिसका फायदा उन्हें एक बार फिर मिला।
नादिया की रानाघाट दक्षिण सीट पर टीएमसी के मुकुट मणि अधिकारी ने 39 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। कल्याणी की तरह उन्होंने भी विधानसभा चुनाव के बाद ही टीएमसी जॉइन की थी। हालांकि उन्होंने विधायक के तौर पर इस्तीपा नहीं दिया था। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने विधायक पद छोड़ा। इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के मनोज कुमार को बड़े अंतर से हरा दिया।
बागदाह सीट की बीत करें तो यहां से टीएमसी की मधुपर्णा ठाकुर ने 33 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। बीजेपी के विनय कुमार विश्वास को उन्होंने हराया है। इस सीट पर बीजेपी विधायक बिस्वजीत दास के इस्तीफे के बाद चुनाव कराए गए थे। ऐसे में यह सीट टीएमसी ने बीजेपी से छीनी है। इस सीट पर टीएमसी ने 2011, 2016 में जीत हासिल की थी। यह क्षेत्र महुआ समुदाय बहुल है। वह पिछले दो चुनावों में बीजेपी का साथ देता था। बता दें कि लोकसभा चुनाव में भी टीएमसी ने 42 में से 29 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं बीजेपी के खाते में केवल 12 सीटें गईं। जबकि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटें जीती थीं।
अब क्या है विधानसभा का गणित
इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी तीन सीटें गवां दी हैं। वैसे तो उपचुनाव में माना जाता है कि सत्ताधारी पार्टी हावी रहती है। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि बीजेपी एक सीट भी नहीं जीतपआई। वहीं विधानसभा में तीन सीटें गंवाने के बाद बीजेपी 66 पर पहुंच गई है। 2021 के चुनाव में बीजेपी ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
क्यों लगा बीजेपी को बड़ा झटका
बीजेपी अकसर बेहद आक्रामक होकर चुनाव लड़ती है जिसका फायदा भी उसे मिलता है। हालांकि इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत नहीं झोंकी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद बीजेपी का कैडर और कार्यकर्ता सुस्त थे। उनमें बड़े नेताओं ने उत्साह भी नहीं भरा। सुकांत मजूमदार की अगुआई में चुनाव लड़ा गया था और वह अब केंद्र में मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने संदेशखाली जैसे मुद्दे उठाए थे लेकिन इस चुनाव में कोई नया मुद्दा नहीं उठाया गया। वहीं टीएमसी को सत्ता में होने का भी फायदा मिला। मुकुट मणि अधिकारी को चुनाव में उतारना टीएमसी के लिए फायदेमंद रहा क्योंकि वह मतुआल बेल्ट से ताल्लुक रखते हैं।
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