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महापौर-अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनाव पर भाजपा अभी भी कायम : मोघे

July 05, 2021

  • हापौर-अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनाव पर भाजपा अभी भी कायम : मोघे

इन्दौर। महापौर(mayor) व अध्यक्ष (president) चुनाव (Election) प्रत्यक्ष तौर पर ही होकर रहेगा। भले ही प्रत्यक्ष चुनाव का अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया हो, लेकिन भाजपा (bjp) चुनाव को प्रत्यक्ष तौर पर करवाएगी।



यह कहना है पूर्व महापौर (mayor) कृष्णमुरारी मोघे (krishnamurari moghe) का। मोघे को पिछले साल कांग्रेस (Congress) की तत्कालीन सरकार के उस फैसले के विरोध में बनाई गई समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, जो भाजपा (BJP) संगठन की ओर से बनाई गई थी। चंूकि उसके बाद प्रदेश में भाजपा (BJP) की सरकार आ गई और सरकार ने महापौर (Mayor) तथा अध्यक्ष (President का चुनाव (Election) प्रत्यक्ष प्रणाली, यानी सीधे आम लोगों द्वारा कराए जाने संबंधी अध्यादेश पारित ( direct system) किया। इसके बाद तय हो गया था कि पूरे प्रदेश में पार्षदों, अध्यक्षों (Presidents) और महापौर (Mayor) का चुनाव एक साथ होगा। इस बीच आरक्षण (reservation) को लेकर इंदौर (Indore) और ग्वालियर (Gwalior) में याचिकाएं भी लगाई गईं, लेकिन सभी याचिकाओं को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur Highcourt) में सुनवाई के लिए पहुंचा दिया गया, जहां से फैसला होना बाकी है। मुरैना और उज्जैन के महापौर (Mayour) के आरक्षण (Reservation) को भी ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior HIGH court0 में चुनौती दी गई है। अध्यादेश भाजपा (BJP) सरकार द्वारा लाया गया था और इसे विधेयक (Councilers) के रूप में पारित करना था। चंूकि विधेयक (Councilors) को वर्तमान सरकार द्वारा पारित किया जाना था, लेकिन कोरोना के कारण विधानसभा सत्र समाप्त हो गया और यह विधेयक (Councilors) पास नहीं हो पाया। इसको लेकर पूर्व महापौर (Mayor) कृष्णमुरारी मोघे (krishnamurari moghe)  का कहना है कि भाजपा (BJP) अपने फैसले पर अटल है और चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही करवाएगी। इस संबंध में जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी वो पूरी की जाएगी। फिलहाल तो आरक्षण संबंधी स्टे के कारण चुनाव की तारीखें ही तय नहीं है, जब तक सरकार कोई न कोई रास्ता भी निकाल लेगी।

फिलहाल अधर में ही लटका है महापौर चुनाव

भले ही अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया हो, लेकिन भाजपा (BJP) सरकार पूरी ताकत से फिर से महापौर (Mayor) और अध्यक्ष (President) का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का प्रयास करेगी। इसके लिए सरकार अब नए सिरे से कानून (Law) पहलुओं पर विचार करेगी। चूंकि अभी नगरीय निकाय चुनाव होने पर भी संशय है, इसलिए सरकार के पास भी समय है और वह जरूर विधानसभा सत्र के पहले अध्यादेश लाकर इसे विधेयक (Councilors) के रूप में पारित करवाने की कोशिश करेगी, ताकि चुनाव में उसे इसका लाभ मिल सके।


 

 

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