जयपुर (Jaipur) । बीजेपी (BJP) ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों (Lok Sabha seats) में से 15 पर प्रत्याशी घोषित कर दिए है। जबकि 10 सीटों को होल्ट पर रखा है। बीजेपी आलाकमान ने इस बार 7 सांसदों को टिकट काट दिए है। लेकिन खास बात यह है कि बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) को लोकसभा का टिकट देकर दिल्ली बुलाया है। जबकि वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को टिकट नहीं दिया है। वसुंधरा राजे के बेटे दुश्यंत सिंह को अपनी परंपरागत सीट झालावाड़ से फिर टिकट दिया है। सियासी जानकार वसुंधरा राजे को दिल्ली नहीं बुलाने के पीछे वजह बता रहे हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे के आगे आलकमान झुक गया है। वसुंधरा राजे राजस्थान छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। एक तरह से वसुंधरा राजे अड़ गई गई है।
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की जगह उनके बेटे को टिकट दिया गया है। मतलब वसुंधरा राजे का बेटा ही दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहेगा। सियासी जानाकारों का यह भी कहना है कि शिवराज सिंह को विधायक रहते टिकट दिया है। जबकि वसुंधरा राजे को नहीं दिया है। वसुंधरा राजे भी विधायक है। ऐसे में हो सकता है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन होने पर वसुंधरा राजे को फिर से राज मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने भले सीएम भजनलाल शर्मा को राजस्थान सौंप दिया हो लेकिन वसुंधरा राजे जैसी धमक नहीं है। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहता है तो नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं बन सकती है। ऐसे में वसुंधरा राजे से बड़ा कद्दावर नेता राजस्थान में नहीं है। बीजेपी ने तीनों केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश मेघवाल और अर्जुन मेघवाल को टिकट देकर केंद्र की राजनीति में रहने के संकेत दिए है। ऐसे में वसुंधरा राजे ही राजस्थान की फिर से कमान संभाल सकती है।
7 सांसदों के टिकट काटे
बीजेपी ने 7 नए प्रत्याशियों को टिकट काटकर बड़ा सियासी संकेत दिए है। लेकिन तीनों मंत्रियों पर फिर से विश्वास जताया है। चूरू से रामसिंह कस्वां का टिकट काट दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि चूरू सांसद कस्वां को राजेंद्र राठौड़ से पंगा लेना भारी पड़ा है। राजेंद्र राठौड़ ने खुद की हार के लिए इशारों में सांसद को ही जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, उन्होंने नाम नहीं लिया था। बीजेपी ने चूरू से देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि राममंदिर और राष्ट्रवाद के सहारे चल रही बीजेपी को अपने सांसदों के कामकाज पर यकीन नहीं था। इसलिए टिकट काटे है। माना जा रहा है कि 10 लोकसभा सीट होल्ड पर रखी है। इनमें भी आधे सासंदों के टिकट खतरे में है।
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