20 सालों से शहर सरकार पर है एक ही पार्टी का कब्जा… कांग्रेस के पास हरल्लों की ही फौज ज्यादा
इंदौर, राजेश ज्वेल। निगम चुनाव के ढोल बजने लगे। कल जैसे ही भोपाल में महापौर पद का आरक्षण हुआ उसके बाद से ही धड़ाधड़ दावेदारों के नाम सोशल मीडिया पर भी आने लगे। इंदौर सालों से भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है, जहां से 9 बार सांसद और चार बार सीधे चुनाव में भाजपा के महापौर ने बाजी मारी। लिहाजा इस बार भी भाजपा का ही महापौर बनना तय है, जिसके चलते दिग्गजों में टिकट का दंगल शुरू हो गया है, क्योंकि पार्टी जिसे टिकट देगी, वह 5 साल के लिए शहर का प्रथम नागरिक आसानी से बन जाएगा। मेंदोला, गुप्ता, वर्मा, जिराती के बीच टिकट का घमासान रहेगा।
इंदौर महापौर का चुनाव जनता द्वारा ही होना है, जिसके चलते भाजपा की ही संभावना उज्जवल है। बीते चार निगम चुनावों में शहर सरकार पर भाजपा का ही कब्जा रहा और 24वें महापौर के लिए भी चुनावी ढोल बजने लगे हैं। संभावना है कि 15 दिसम्बर के आसपास नगरीय निकायों के चुनाव की घोषणा हो जाएगी। इंदौर में वार्ड आरक्षण, मतदाता सूची का काम पहले ही हो चुका है और अब महापौर का पद अनारक्षित होने से सभी तरह के दावेदारों ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। भाजपा के दमदार विधायक रमेश मेंदोला इस पद के लिए कार्यकर्ताओं की पसंद तो हैं ही, वहीं उनकी जीत की सम्भावना इसलिए सबसे बेहतर है, क्योंकि वे विधायकी के चुनाव भी लगातार अधिक मतों से जीतते रहे हैं। अगर विधायकों को टिकट ना देने का फार्मूला पार्टी ने लागू किया, तो उनका पत्ता कट सकता है। वहीं भाजपा की ओर से एक और मजबूत नाम मधु वर्मा का है, जिनके खाते में प्राधिकरण में अध्यक्ष रहते हुए करवाए ढेरों विकास कार्य हैं और उनका साथ ताई-भाई से लेकर सभी गुट दे देंगे। उनकी छवि भी निर्वाविदत रही है और निगम में भी महापौर परिषद् में रहने के चलते उन्हें पर्याप्त अनुभव है। वहीं विधानसभा एक से चुनाव हारे सुदर्शन गुप्ता का दावा भी कमजोर नहीं है। जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ, तब रिसोर्ट में रखे गए कांग्रेस के विधायकों की पहरेदारी का जिम्मा सुदर्शन गुप्ता के पास ही था। संघ, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर के साथ-साथ ताई का भी वरदहस्त्र गुप्ता पर है। इसी तरह विजयवर्गीय गुट के करीबी जीतू जिराती भी इस दौड़ में शामिल हैं। दरअसल, जिसे भी भाजपा महापौर का टिकट देगी, उसका चुनाव जीतना लगभग तय है, क्योंकि कांग्रेस लोकसभा से लेकर महापौर के चुनाव में लगातार हारती ही रही है और उसके पास हरल्ले दावेदारों की फौज ज्यादा लम्बी है। बीते 20 सालों से शहर पर भाजपा महापौर का ही कब्जा रहा और अभी पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के कार्यकाल में निगम ने शानदार उपलब्धियां अर्जित की, जिसमें चार बार स्वच्छता में इंदौर नम्बर वन रहा, उसका फायदा भी अभी निगम चुनाव में भाजपा को मिलेगा। वहीं राज्य और केन्द्र में सरकार भी उसकी है ही।
कांग्रेस से संजय ने ठोंका दावा… तो पटवारी से लेकर बाकलीवाल भी दावेदार
कल जैसे ही महापौर सामान्य वर्ग का घोषित हुआ, सभी दावेदारों के नाम सामने आने लगे। महापौर का चुनाव चूंकि जनता द्वारा करना है, इसलिए कांग्रेस को दमदार उम्मीदवार उतारना पड़ेगा। कल ही विधायक संजय शुक्ला ने अपना दावा ठोंक दिया और एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि अगर पार्टी मौका देती है तो वे ना सिर्फ दम-खम से चुनाव लड़ेंगे, बल्कि कांग्रेस को जीताकर भी लाएंगे। संजय के पास धन-बल से लेकर समर्थकों की भी अच्छी-खासी फौज है और पिता विष्णुप्रसाद शुक्ला भाजपा के वरिष्ठ नेता भी हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री और राऊ विधायक जीतू पटवारी भी प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं, जो अपने दिल्ली दरबार के सम्पर्क के बलबूते पर टिकट ला सकते हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी उनकी नजदीकी है। इसी तरह लगातार पार्षद रहे छोटे यादव भी कांग्रेस की ओर से दावेदार हैं, लेकिन धन-बल और साधन-संसाधन के मामले में वे अवश्य पड़ेंगे, मगर उनकी भी छवि निर्विवाद रही है। इसी तरह कमलनाथ से नजदीकी के चलते शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल भी महापौर का चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जाते हैं। उनके पास भी निगम का पुराना अनुभव है। वहीं विधानसभा चुनाव हारे अश्विन जोशी भी टिकट की दौर में शामिल रहेंगे।
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