लखनऊ (Lucknow) । यूपी (UP) में बीजेपी (BJP) का जनसंपर्क अभियान (public relations campaign) कई जिलों में उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने इस पर असंतोष जताया है। ऐसे में बीजेपी आलाकमान ने महासंपर्क अभियान जारी रखने और खराब प्रदर्शन करने वाले नेताओं को नया टास्क सौंपा है। अब उन्हें पिछड़े जिलों में महासंपर्क अभियान की सफलता सुनिश्चित होगी। इसके लिए एक बार फिर से उन्हें जनता को संगठित करने का प्रयास करना होगा। इस तरह महासंपर्क अभियान को 15 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जून में BJP के जनसंपर्क अभियान के दौरान कई जिलों में पार्टी सांसदों की कमियां सामने आईं। इस दौरान 10 हजार की भीड़ के साथ लाभार्थियों के लिए सार्वजनिक बैठकें करने का टारगेट था। मगर, करीब 12 जिलों में भारतीय जनता पार्टी की सभाओं में लोगों की उपस्थिति बहुत कम थी। इस स्थिति ने ऐसे सांसदों के टिकट खतरे में डाल दिए हैं। यही वजह है कि जेपी नड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह से रिपोर्ट मंगाई है।
10 हजार लोगों को जुटाने का टारगेट
जनसंपर्क अभियान के तहत भाजपा ने प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक करने की योजना बनाई थी। इसका लक्ष्य 10 हजार लोगों को जुटाने का था। कई जिलों से ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं जिनसे संकेत मिला कि सांसद भीड़ जुटाने में नाकाम रहे। इसे देखते हुए जेपी नड्डा ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और पार्टी महासचिव धर्मपाल सिंह से बातचीत की। बताया जा रहा है कि इस दौरान उनके सामने पूरी रिपोर्ट पेश की गई।
इन इलाकों में खराब रहा प्रदर्शन
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले बताया गया है कि नोएडा, कन्नौज, जौनपुर, हाथरस और बहराइच जैसे जिलों में भीड़ कम देखी गई। कहा जा रहा है कि बीते दिनों भीषण गर्मी की वजह से भी लोग सभाओं में भारी संख्या में नहीं आ सके। इसी तरह घोसी और लालगंज में भी आम लोगों की कम भागीदारी की रिपोर्ट मिली है। इसे लेकर अब मौजूदा सांसदों की प्रगति रिपोर्ट पर विचार किया जाता है और इससे उनकी स्थिति खतरे में पड़ सकती है।
नए टारगेट के साथ फिर से मौका
पार्टी सूत्रों की मानें तो लोगों को एकजुट करने के लिए खराब प्रदर्शन वाले जिलों में अभियान फिर से शुरू किया गया है। इस बार सार्वजनिक आयोजनों के साथ ही जनसंपर्क पर भी ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसका मकसद पिछले अभियान की कमियों को दूर करना और मौजूदा नेताओं व सांसदों के प्रभाव का आकलन करना है। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने जनसंपर्क अभियान को लेकर कुछ जिलों में चुनौतियां खड़ी हुई हैं। यही वजह है कि पार्टी को खराब प्रदर्शन करने वाले नेताओं को नया टास्क देना पड़ा है। यह देखना यह होगा कि ये नेता पार्टी आलाकमान की उम्मीदों पर किस हद तक खरा उतरते हैं।
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