लखनऊ । यूपी (UP) के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की बहू (Daughter in law) अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को शामिल कराकर (By including) भाजपा (BJP) ने बड़ा दांव (Big Bet) खेला है (Played) । कुछ दिन पहले सपा संरक्षक के रिश्तेदार हरिओम यादव भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। आवाजाही के इस क्रम में दोनों पार्टियां बड़ा दांव लगा रही हैं।
विधानसभा चुनाव में सपा और भाजपा के बीच चल रहे एक-दूसरे के नेताओं को तोड़ने के खेल में भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। मुलायम की बहू को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने छोटे भाई की बहू को संरक्षण नहीं दे सके।सूत्रों के अनुसार अपर्णा सपा से लखनऊ कैंट सीट से टिकट मांग रहीं थीं। अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं हुए। अपर्णा ने लंबा इंतजार किया, लेकिन जब पार्टी प्रमुख की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली तो उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया। अपर्णा इस सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ीं थी। उन्हें 61 हजार से अधिक वोट मिले थे। उन्होंने 2022 में भी इस सीट के लिए दावेदारी पेश की थी।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, अपर्णा यादव को अखिलेश यादव ने लखनऊ कैंट से टिकट देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा में जाने का निर्णय लिया। चुनाव हारने के बाद भी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। उनकी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की भी है।अपर्णा यादव गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी है। अमेठी जिले के मलिक मोहम्मद जायसी शोध संस्थान में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने तिलोई से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। कहा कि नेताजी व अखिलेश भैया ने कहा तो वे तिलोई के लोगों की सेवा करने में स्वयं को समर्पित कर देंगी। लेकिन वहां के लिए भी सपा की ओर से कोई रिपान्स नहीं दिखा।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए हर दांव आजमा रही हैं। इस समय तमाम नेता ही अपने-अपने हिसाब से दल बदल रहे है। इसके अलावा पार्टियों के वरिष्ठ नेता भी जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों के मजबूत नेताओं को तोड़कर साथ मिलाने में लगे हैं। इसी क्रम में मुलायम की छोटी बहू ने भी भाजपा दामन थामा है।
इस दौरान केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर तंज भी कसा और कहा कि अखिलेश यादव अपना परिवार नहीं संभाल पाए हैं। केशव ने कहा कि हम अपर्णा का अपने भाजपा परिवार में स्वागत करते हैं। वह समय-समय पर भाजपा सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन करती रही हैं। केशव कहा कि अखिलेश यादव चुनाव में हार से इतने भयभीत हैं कि वह लड़ने के लिए विधानसभा सीट तक नहीं तय कर पा रहे हैं। वो कहते हैं कि विकास किया है। अगर विकास किया है तो उसी सीट से चुनाव लड़ें, जहां विकास किया है।
इससे पहले समाजवादी पार्टी ने भाजपा के तमाम पिछड़े वर्ग के नेताओं को तोड़ा है। इसमें प्रमुख रूप से भाजपा सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य धर्म सिंह सैनी, दारा सिंह चौहान समेत दर्जनों विधायक-पूर्व विधायक साइकिल पर सवार हो गए।
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