इंदौर। जिलाध्यक्षों के लिए गाइड लाइन तय हो जाने और कुछ जिलों में महिला अध्यक्षों के चयन को लेकर भाजपा संगठन ने निर्देश दिए हैं। राजनीति की प्रयोगशाला बने इंदौर में भाजपा यह प्रयोग कर सकती है। कल भोपाल में हुई प्रदेश भाजपा की संगठन के बाद केन्द्रीय चुनाव समिति के निर्णयों की जानकारी सभी को दी गई और कहा गया कि जिस तरह से मंडल अध्यक्षों के चुनाव में कुछ जिलों के चुनाव प्रभारियों पर आरोप लगे हंै, ऐसा अब न हो। वहीं दो बार के जिलाध्यक्ष और 60 साल की उम्र का नियम अनिवार्य रूप से लागू करने के मामले में भी कहा गया है।
आपराधिक छवि और पार्टी से अनुशासनहीनता को लेकर निकाले गए कार्यकर्ताओं के नाम भी रायशुमारी में शामिल नहीं करने को लेकर कहा गया है। इस बार महिला जिलाध्यक्षों को लेकर भी पहल की जा रही है और कहा जा रहा है कि इंदौर जैसे शहर में महिला अध्यक्ष को लेकर प्रयोग किया जा सकता है, ताकि आने वाले समय में पार्टी की ओर से एक संदेश पूरे प्रदेश में जा सके। कुछ वरिष्ठ नेता इंदौर जैसे शहर में इस प्रकार के प्रयोग करने के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हंै। दूसरी ओर इंदौर में ऐसा कोई बड़ा नाम महिला नेता का नहीं है, जिस पर सब सहमति बना सके। पहला नाम दिव्या गुप्ता का सामने आ रहा है जो लोकसभा और महापौर प्रत्याशी के रूप में भी तेजी से सामने आया था। महिला नगर महामंत्री के रूप में सविता अखंड को बनाया था जो सफल रहा और उन्होंने पार्टी के कई बड़े कामों में सहयोग दिया। महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष ज्योति तोमर भी एक हो सकता है। अगर संगठन की चली तो फिर संगठन में ही काम करने वाली किसी महिला नेत्री को इंदौर के अध्यक्ष के रूप में देखा जा सकता है।
लगातार दो बार के नियम के बाद गौरव दौड़ से बाहर…चिंटू वर्मा बने रहेंगे ग्रामीण के अध्यक्ष
कयास लगाए जा रहे थे कि एक बार फिर गौरव रणदिवे नगर अध्यक्ष बन सकते हैं, लेकिन संगठन के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि दो बार के अध्यक्षों को अब मौका नहीं दिया जाएगा। गौरव की नियुक्ति 9 मई 2020 को की गई थी। इस बीच दो कार्यकाल हो गए हैं और वे इस क्राइट एरिये से बाहर हो गए हैं। यूं भी गौरव अब किसी लाभ के पद पर नियुक्ति चाह रहे हैं, इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से नजदीकियां भी बढ़ाना शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च में कार्यकारी अध्यक्ष को हटाकर चिंटू वर्मा को पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया था। इस हिसाब से उनका कार्यकाल अभी 8 महीने का ही हुआ है और ग्रामीण क्षेत्र के सभी गुटों को साधकर काम करने एवं संगठन पर्व में अव्वल रहने पर कई वरिष्ठ नेता उनकी पीठ भी थपथपा चुके हैं। इसलिए वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उनका कार्यकाल नियमानुसार 2027 में समाप्त होगा, जिसके बाद एक और कार्यकाल के लिए उन्हें समय दिया जा सकता है।
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