नई दिल्ली (New Delhi) । मिशन 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा (BJP) संगठन को पूरी तरह चाक-चौबंद करने के साथ भविष्य के सहयोगियों के लिए रास्ता बना रही है। पार्टी चार राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन (leadership change) के बाद अभी आधा दर्जन और प्रदेशों में बदलाव कर सकती है। जल्द ही केंद्रीय संगठन में कुछ नई नियुक्तियों, राज्यों के प्रभार व चुनाव प्रबंधन के स्तर पर भी बदलाव होने हैं। इस कवायद का असर केंद्र सरकार पर भी पड़ सकता हैं, जिसमें कुछ नए मंत्रियों (ministers) को शामिल किए जाने की संभावना है।
भाजपा ने मंगलवार को चार राज्यों पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और झारखंड के अध्यक्षों में बदलाव किया था। सूत्रों के अनुसार अभी पार्टी कर्नाटक, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, गुजरात, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर में भी बदलाव कर सकती है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा संगठनात्मक कवायद में जुटे हैं और जल्द ही कुछ और अहम परिवर्तन सामने आ सकते हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, प्रह्लाद पटेल ने भी नड्डा से मुलाकात की है। कुछ और मंत्री भी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं।
नौ महीने अहम
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया था कि अब आगे चुनावी मिशन है और नौ महीने बेहद अहम हैं। ऐसे में संगठन व सरकार में हर स्तर पर मिशन 2024 के मद्देनजर ही काफी काम किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय संगठनात्मक बैठकें भी इसका हिस्सा हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र की बैठक गुरुवार को गुवाहाटी में होने जा रही है। इसके बाद दो बैठकें दिल्ली और हैदराबाद में होनी है।
मजबूत क्षेत्रीय दलों पर नजर
मौजूदा बदलावों में भावी मिशन के संकेत भी मिल रहे हैं। इसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी ताकत बढ़ाने के साथ नए सहयोगियों के लिए रास्ता बनाए रखा है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा से इसके संकेत भी मिल रहे हैं। इन तीनों राज्यों में भाजपा बहुत मजबूत नहीं है।
यहां मजबूत क्षेत्रीय दलों पर भाजपा की नजर है। पंजाब में भाजपा व अकाली दल के बीच लंबा गठबंधन रहा है, जिसमें सिख नेतृत्व पर अकाली दल व गैर सिख नेतृत्व पर भाजपा जोर देती रही है। अब भाजपा ने सुनील जाखड़ को अध्यक्ष बनाकर गैर सिख चेहरे को सामने कर अकाली दल के साथ सहयोग का रास्ता खुला रखा है।
भविष्य के लिए छिपे संदेश
आंध्र प्रदेश में भाजपा ने डी. पुरंदेश्वरी को अध्यक्ष बनाकर साफ कर दिया कि वह तेलुगुदेशम के करीब जाने के बजाए अपनी ताकत तो बढ़ाएगी ही, साथ ही सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के साथ रिश्तों को खुला रखेगी। तेलंगाना में भी जी. किशन रेड्डी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने सत्तारूढ़ बीआरएस को भी भविष्य के लिए संदेश दिया है। मौजूदा अध्यक्ष संजय बंडी को लेकर कुछ दिक्कतें भी आ रही थीं। खास बात यह है कि यह तीनों दल विपक्षी एकता की पटना बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
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