लखनऊ (Lucknow) । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में यूपी (UP) में करारी हार के बाद भाजपा (BJP) में रार मच गई है। हारे हुए भाजपा सांसद भितरघात को लेकर मुखर हैं। ऐसे सांसदों की संख्या तकरीबन 10 है। उन्होंने पार्टी से शिकायत भी की है। वहीं कुछ खुलकर तो नहीं बोल रहे लेकिन पार्टी प्लेटफार्म पर इसकी जानकारी दी है। कुछ जीते हुए प्रत्याशियों ने भी भितरघात होने की बात कही है। कोई पार्टी विधायकों से खिन्न है तो किसी की पीड़ा स्थानीय संगठन के नेताओं को लेकर है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने सभी जिला व महानगर इकाइयों से इसकी रिपोर्ट मांगी है। कुछ स्थानों पर विधायकों की तरफ से पलटवार भी हो रहे हैं। चंदौली की सैयदराजा सीट से विधायक सुशील सिंह संगठन के खिलाफ मुखर हो गए हैं। यहां तक कह दिया कि जब विधायकों की ही जिम्मेदारी है तो संगठन का क्या काम है।
यूपी की हार को लेकर दिल्ली गंभीर है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेने वाली भाजपा 62 से 33 पर आ गई। इसके साथ ही हारे हुए प्रत्याशियों ने खुलकर भितरघातियों को घेरना भी शुरू कर दिया है। फतेहपुर सीट से चुनाव हारीं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति हार से बेहद कुपित हैं। उन्होंने पार्टी के चार लोगों के नाम लिखकर संगठन को दिए हैं। इनमें दो पूर्व विधायक, एक पूर्व जिलाध्यक्ष और एक अन्य नेता के नाम शामिल हैं। 2019 में लगभग दो लाख मतों से जीतने वाली साध्वी 33 हजार वोटों से सपा के नरेश उत्तम पटेल से चुनाव हारी हैं। हालांकि, साध्वी अपना ही बूथ नहीं बचा पायी हैं।
जालौन सीट से हारे केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा भी अपनी हार का ठीकरा भितरघातियों पर फोड़ रहे हैं। 53 हजार वोटों से हारे भानु प्रताप इसकी शिकायत लेकर दिल्ली गए हैं। उनके करीबी हार के लिए जिले के दो नेताओं को जिम्मेदार बता रहे हैं, जिनमें एक टिकट का दावेदार शामिल है। हारी सीटों बांदा, इटावा, हमीरपुर, कन्नौज में भी भितरघात की चर्चा है। उन्नाव से जीते साक्षी महाराज भी भितरघात से खिन्न हैं। उन्होंने कहा कि जो कुछ कहूंगा, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहूंगा। पिछला चुनाव 4.10 लाख वोटों से जीतने वाले साक्षी इस बार सिर्फ 36 हजार से जीत पाए।…
चंदौली से भाजपा प्रत्याशी डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने हार के कारणों से संगठन के शीर्ष नेताओं को अवगत कराने को कहा है। वहीं, उनके समर्थक भितरघात के सवाल उठा रहे हैं। आंवला के मौजूदा सांसद धर्मेंद्र कश्यप की हार में भी भितरघात को कारण बताया जा रहा है। खीरी सीट पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की सीट पर भी चुनाव के दौरान गुटबाजी चरम पर दिखी थी। हार के बाद बुधवार को पार्टी ने जिला स्तर पर समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी, जिसमें कोई शामिल ही नहीं हुआ।
पूर्व विधायक बोलीं अनदेखी से हारे इलाहाबाद-कौशांबी
धौरहरा लोकसभा सीट से हारीं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा की सीट पर भितरघात से ज्यादा उदासीनता की स्थिति देखने को मिली थी। इलाहाबाद सीट से भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी ने संगठन के पदाधिकारियों को कुछ ऐसे लोगों के नाम बताएं हैं, जिन्होंने चुनाव में सहयोग नहीं किया। इसी संसदीय क्षेत्र के मेजा से विधायक रहीं नीलम करवरिया ने बयान भी दिया था कि इलाहाबाद और कौशांबी सीट पर हार की वजह पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी और बेकदरी रही है।
सीकरी-अलीगढ़ में हुए निष्कासन
सलेमपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रहे रवींद्र कुशवाहा का कहना है कि बलिया के सिकंदरपुर में भितरघात हुआ, जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसकी रिपोर्ट जल्द पार्टी नेतृत्व को भेजेंगे। फतेहपुर सीकरी सीट पर जीते भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने सीकरी के विधायक चौधरी बाबूलाल के बगावत कर बेटे को चुनाव लड़ाने की शिकायत की थी। इसके बाद बाबूलाल को नोटिस और बेटे रामेश्वर सिंह को पार्टी से निष्कासित भी किया गया था। अलीगढ़ के प्रत्याशी सतीश गौतम की शिकायत पर वहां के चार पदाधिकारियों के निष्कासन की संस्तुति जिला संगठन ने की थी।
आगरा शहरी सीट से जीते केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल के क्षेत्र में भी महानगर संगठन द्वारा भितरघातियों को चिन्हित करने की बात कही है। फिरोजाबाद के प्रत्याशी विश्वदीप सिंह ने भी हार के लिए भितरघातियों को जिम्मेदार ठहराया है। इसी तरह एटा सीट पर राजवीर सिंह की हार में भी भितरघात को कारण बताया जा रहा है। वहां के जिलाध्यक्ष संदीप जैन का कहना था कि भितरघातियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
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