नई दिल्ली । भाजपा सांसद कंगना रनौत के कृषि कानूनों पर दिए गए बयान (BJP MP Kangana Ranaut’s Statements on Agricultural Laws) पार्टी के गले की फांस बन गए हैं (Have become a thorn in the side of the Party) । बीजेपी ने एक बार फिर उनसे किनारा कर लिया है।
भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे किसान कानून पर कुछ सवाल पूछे और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री मोदी से किसान कानून वापस लाने का अनुरोध करना चाहिए। मेरे इस बयान से कई लोग निराश और हताश हैं। जब किसान कानून प्रस्तावित किया गया था, तो हममें से कई लोगों ने इसका समर्थन किया था लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने बड़ी संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ इसे वापस ले लिया और हम सभी कार्यकर्ताओं का यह कर्तव्य है कि हम उनके शब्दों की गरिमा का सम्मान करें। मुझे भी यह ध्यान रखना होगा कि मैं अब कलाकार नहीं हूं, मैं भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता हूं और मेरी राय मेरी अपनी राय न होकर पार्टी का रुख होनी चाहिए। इसलिए अगर मेरी बातों और मेरी सोच से किसी को निराशा हुई है तो मुझे खेद रहेगा और मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।
मानो कंगना बयानों की आंच से खुद को बचाने की कोशिश कर रही हो। कंगना, जिन्होंने अपने तीखे बयानों से सत्ता के गलियारों तक की चढ़ाई की थी, अब अपनी ही पार्टी के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती। यह पहली बार नहीं है जब कंगना के बोल पार्टी की नीति के खिलाफ गए हैं। सांसद बनने के बाद भी उनकी जुबां पर ताला नहीं लगा, चाहे पार्टी कितनी ही हिदायतें दे चुकी हो। कृषि कानूनों पर कंगना के निजी विचारों से जहां किसान भड़क गए, वहीं पार्टी के भीतर भी असंतोष की आवाजें उठने लगीं।
कंगना रनौत ने पहले तो मोदी की तारीफों के पुल बांधे और राहुल गांधी पर तंज कसे, जिससे वो बीजेपी के पसंदीदा चेहरों में शुमार हो गईं। उनकी सियासी सफर की चढ़ाई तो हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से सांसद बनने के साथ हुई, लेकिन अब ऐसा लगता है कि उन्हें हर बयान सोच-समझकर देना पड़ेगा। लेकिन कंगना की आदतें पुरानी हैं, और यही आदतें उन्हें सत्ता के गलियारों में घुसाती हैं तो बाहर का रास्ता भी दिखाती हैं।
कंगना रनौत ने सांसद बनने के पहले और बाद में विवादित बयान दिए हैं। हालही किसानों के आंदोलन को बांग्लादेश में हुई घटना से जोड़ दिया था। इससे पहले उन्होंने किसान आंदोलन में एक बुजुर्ग की महिला व शाहीन बाग आंदोलन की दूसरी महिला की तस्वीर पोस्ट कर लिखा था-ये 100 रुपए में उपलब्ध हैं। कंगना के बयान हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं, चाहे किसानों को विदेशी षड्यंत्रों से जोड़ने का मामला हो या फिर शंकराचार्य पर तीखी टिप्पणी। तापसी पन्नू और स्वरा भास्कर को ‘बी-ग्रेड’ हिरोइन बताने से लेकर, राहुल गांधी के लिए बेहद निजी कटाक्ष करने तक, कंगना के शब्दों ने हमेशा विवाद खड़ा किया है।
फिल्मों का एक डायलॉग है-प्यार करना आसान है, लेकिन उसे निभाना मुश्किल है। यह बात कंगना को भी बहुत अच्छी तरह से मालूम होगी, लेकिन राजनीति की बिसात पर बयानबाज़ी से एंट्री तो मिल जाती है, लेकिन सियासत में टिके रहना उतना ही कठिन है, जितना फिल्मों में स्टारडम बनाए रखना। कंगना को यह बात शायद अब समझ आ रही होगी।
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