रांची । झारखंड में (In Jharkhand) प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) के पेपर लीक और नकल पर रोक लगाने (To Prevent Paper Leak and Copying ) के बिल पर (On the Bill) भाजपा विधायकों (BJP MLAs) ने शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें (To the Governor after Meeting Him) ज्ञापन सौंपा (Handedover Memorandum) ।
विधानसभा में भी भाजपा विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। हंगामे की वजह से स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। काला कानून वापस लो के नारे से पूरी विधानसभा आज भी गूंजती रही। यह बिल गुरुवार को विधानसभा में भाजपा और आजसू पार्टी के विधायकों की गैरमौजूदगी में पारित किया गया था। भारतीय जनता पार्टी और आजसू पार्टी के विधायकों ने इस बिल को काला कानून बताते हुए वेल में पहुंचकर विधेयक की प्रतियां फाड़ दी थीं और सदन का बायकॉट कर दिया था।
भाजपा के प्रदेश बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों प्रतिनिधिमंडल शक्रवार सुबह 10 बजे राज्यपाल से मिला और मांग की कि वह इस बिल को कानून को रूप लेने पर रोक लगाएं, क्योंकि इसके प्रावधानों की आड़ में अफसरों को राज्य के छात्र-युवाओं का जीवन बर्बाद करने का हथियार मिल जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में कुल 20 विधायक शामिल थे। राज्यपाल से मुलाकात के बाद मरांडी ने कहा कि “नकल विधेयक” एक काला क़ानून है, जिसका इस्तेमाल कर सरकार अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज़ को दबाएगी। छात्रों के विरोध को इस कानून के आड़ में कुचला जाएगा और निर्दोष विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद किया जाएगा। मुख्यमंत्री की यही मंशा है।”
राज्यपाल से मिलने के बाद भाजपा विधायक एक साथ 11 बजकर 20 मिनट पर सनद पहुंचे। सदन में आते ही विधायक वेल में पहुंच गये और हंगामा शुरू कर दिया। वे रिपोर्टिंग टेबल पीटने लगे। कुछ विधायक वेल में पहुंचकर नियोजन नीति क्या हुआ के नारे लगाने लगे। इसी हंगामे के बीच स्पीकर प्रश्नकाल ले रहे थे। हंगामे पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इनके नेता कौन हैं, इन्हें पता ही नहीं है।
सनद रहे कि विधानसभा से पारित इस बिल का नाम, झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) विधेयक, 2023 है। इसके प्रावधानों के अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी। इसके अलावा दोषियों पर दस करोड़ तक जुर्माना लगाया जाएगा।
इसी तरह परीक्षाओं में नकल-कदाचार में पहली बार पकड़े जाने पर परीक्षार्थी को एक साल और दूसरी बार इसी तरह का जुर्म साबित होने पर तीन साल तक की सजा हो सकेगी। उन पर पांच से दस लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। इतना ही नहीं, इन मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है। पेपर लीक और किसी प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भ्रामक जानकारी प्रचारित-प्रसारित करने वाले भी इस कानून के दायरे में आएंगे। यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू होगा।
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