भोपाल: मध्य प्रदेश में राजनीति चमकाने के लिए नेताओं चुनाव आते ही नेता अजब-गजब मांग करने लगते हैं. विधायक नारायण त्रिपाठी लंबे समय से विंध्य को अलग राज्य बनाने की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर रहे हैं. दूसरी तरफ उज्जैन के नागदा के कांग्रेस विधायक दिलीप गुर्जर ने अब नागदा को अलग जिला बनाने की मांग रख दी है.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में अपने कार्यक्रम के दौरान कई बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 20 जुलाई को उज्जैन जिले के नागदा आ रहे हैं. नागदा के विधायक दिलीप गुर्जर के मुताबिक कमलनाथ सरकार ने 2020 में नागदा को जिला बनाने की घोषणा कर दी थी. हालांकि, सरकार बदलते ही नागदा को जिला बनाने का विधि सम्मत कार्य नहीं हो पाया.
20 जुलाई को सीएम के सामने फिर रखेंगे मांग
दिलीप गुर्जर के मुताबिक नागदा और खाचरोद के लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए 80 से 100 किलोमीटर दूर का सफर कर उज्जैन जाना पड़ता है. ऐसी परिस्थिति में लोगों को आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है. उनके द्वारा लंबे समय से नागदा को जिला बनाने की मांग उठाई जा रही है. मुख्यमंत्री 20 जुलाई को नागदा आ रहे हैं. वह मुख्यमंत्री से भी एक बार फिर मांग करेंगे कि कांग्रेस कार्यकाल में स्वीकृत हुए नागदा जिले को अमलीजामा पहनाया जाए.
इन तहसीलों को मिलाने की मांग
विधायक दिलीप गुर्जर के मुताबिक नागदा, खाचरोद महिदपुर और आलोट तहसील को मिलाकर नागदा जिला बनाया जा सकता है. नागदा और महिदपुर काफी नजदीक है. इसके अलावा नागदा इन तीनों स्थानों से काफी करीब पड़ता है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी इसी प्रकार की बात उठाई गई थी. उनका कहना है कि जिले का सीमांकन तो बाद में कर लिया जाएगा, मगर सबसे पहले नागदा को जिला बनाने की कार्यवाही शुरू होना चाहिए.
नागदा में कई बार हार चुकी है बीजेपी
नागदा-खाचरोद विधान सभा सीट से लंबे समय से दिलीप गुर्जर विधायक पद पर काबिज है. दिलीप गुर्जर को विधानसभा चुनाव 2013 में नागदा के बीजेपी नेता दिलीप शेखावत ने शिकस्त दी थी. दिलीप गुर्जर पूर्व में निर्दलीय विधायक का चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी कांग्रेस दिलीप गुर्जर को ही मैदान में उतार सकती है. इसी वजह से जिला बनाने की मांग गति पकड़ रही है.
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