नई दिल्ली (New Delhi)। मणिपुर हिंसा (Manipur violence) को लेकर देशभर में चर्चा है। इसने देशवासियों को हिलाकर रख दिया है तो देश में कानून-व्यवस्था (Law and order ) के साथ सत्ताधारी सरकार (ruling government) के कामकाज पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां की जनता तो क्या जनप्रतिनिधि भी हमले का शिकार हुए हैं। हिंसा शुरू होने के दूसरे दिन ही हमले में गंभीर रूप से घायल हुए भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे (BJP MLA Vungjagin Valte) इसके प्रत्यक्ष गवाह हैं।
70 दिनों तक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज कराने के बाद भी सत्ताधारी दल के विधायक व उनके परिजन इस कदर डरे व सहमे हुए हैं कि वे मणिपुर भवन या अन्य सरकारी सुविधा का लाभ लेने से भी हिचक रहे हैं। वह परिवार समेत दक्षिण दिल्ली के कालकाजी एक्सटेंशन में एक किराए के मकान में छुप कर रह रहे हैं। खास बात ये है कि दिल्ली में रहते हुए किसी भी भाजपा नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया है।
मणिपुर हिंसा में चार मई को हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे को पांच मई को एयर लिफ्ट करके दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार होने के 70 दिन बाद 13 जुलाई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इन 70 दिनों के दौरान विधायक का परिवार अस्पताल के आसपास के इलाके में 30 हजार रुपये प्रतिमाह पर एक मकान में किराए पर रहा। इसके बाद अब विधायक व उसके परिजनों ने मणिपुर जाने और दिल्ली स्थित मणिपुर भवन में रहने के बजाए कालकाजी एक्सटेशन में 31 हजार प्रतिमाह पर एक मकान किराए पर लेकर रहना शुरू कर दिया है।
कुकी जनजाति के वुंगजागिन वाल्टे के बेटे जोसफ वाल्टे ने बताया कि मणिपुर हिंसा ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है। उनके पिता पर जानलेवा हमला होने के कारण वह अब ठीक से बोल भी नहीं पा रहे है। उनकी हालत देखकर लग रहा है कि वह याददाश्त खो चुके हैं। वह अपने आप बैठ भी नहीं सकते। सहारा देने के बाद वह कुछ पल ही बैठ पाते है। पूरा दिन लेटे रहते है। डॉक्टरों ने उनको बताया है कि उनके पिता को पूरी तरह सही होने में छह-सात माह का समय लगेगा। दरअसल हमलावरों ने उनके पिता के सिर पर कई बार तेज धार हथियारों से हमला किया। उनके चेहरे के साथ-साथ सिर पर भी वार किया था। पीटने के साथ-साथ बिजली का झटका दिया गया। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और हालत गंभीर होने के कारण उन्हें इलाज के लिए दिल्ली लाया गया। वह हमले का शिकार होने के दौरान इंफाल में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात कर सचिवालय से लौट रहे थे।
इलाज के लिए राज्य सरकार ने पांच लाख भेजे, 60 लाख खर्च हुए
जोसफ वाल्टे ने बताया कि राज्य सरकार ने उनके पिता के इलाज के लिए मात्र पांच लाख रुपये भेजे हैं, जबकि उनके इलाज पर करीब 60 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं और अभी कई लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। उन्होंने अपने पास जमा राशि के साथ-साथ अपने रिश्तेदारों से रुपये मांगकर अस्पताल के बिल का भुगतान किया है। इस दौरान केंद्र सरकार व राज्य सरकार के साथ-साथ भाजपा की ओर सुध नहीं लेने से वे परेशान हैं। जोसफ वाल्टे ने बताया कि उनके पास मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक बार फोन किया है, वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री बसंत कुमार सिंह और प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष शारदा देवी उन्हें एक बार देखने आईं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने उनसे संपर्क साधा।
काम धंधा ठप हुआ
जोसफ वाल्टे ने कहा कि उनके पिता पर हमला होने के बाद उनका परिवार बिखरा हुआ है। छोटा भाई मणिपुर में है। वहां उनका गाड़ियों का सर्विस स्टेशन है, लेकिन पिता पर हमला होने के बाद उन्होंने सर्विस स्टेशन बंद कर रखा है। वह स्वयं पेट्रोल पंप चलाते हैं, मगर उनका पेट्रोल पंप भी बंद हो गया है। क्योंकि पिता को संभालने के लिए दिल्ली आना पड़ गया है और उन्हें भी हमला होने का डर है।
राज्य में हालत सुधरने के बाद ही जाएंगे
वुंगजागिन वाल्टे की पत्नी मोइनु वाल्टे व बेटे जोसफ वाल्टे ने कहा कि वह जल्द ही मणिपुर नहीं जाएंगे। राज्य में स्थिति सामान्य होने के साथ-साथ वुंगजागिन वाल्टे के सही होने के बाद ही वह मणिपुर जाने पर विचार करेंगे, क्योंकि राज्य में हालत खराब है और उन्हें भी खतरा है। उन पर भी हमला किया जा सकता है।
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