नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल जूलॉजी और मत्स्य पालन विश्वविद्यालय का कुलाधिपति (Chancellor) नियुक्त करने के लिए विधेयक पारित किया है. इस तरह वह राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की जगह राज्य संचालित 32 विश्वविद्यालयों की चांसलर बन जाएंगी. इसका बीजेपी ने विरोध किया है.
बीजेपी विधायकों ने किया वाकआउट
विधानसभा में विधेयक पारित करने के विरोध में भाजपा विधायकों ने वाकआउट किया. वहीं, तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक और कदम उठाया है. राज्यपाल को नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालय के चांसलर के पद पर बिठाया जाना चाहिए.
राज्य शिक्षा में भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री को पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलाधिपति नियुक्त करने संबंधी विधेयक पारित हो गया. विधानसभा सूत्रों के अनुसार, विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी के विधायकों ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि किसके हाथ में इतने विभाग हैं, उन विभागों को संभालने का समय नहीं है, वह कैसे कई विश्वविद्यालय संभालेंगी. बीजेपी ने आरोप लगाया कि राज्य में शिक्षा में भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है. इस भ्रष्टाचार को बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं. तृणमूल को इतनी दिक्कतें हैं क्योंकि राज्यपाल भ्रष्टाचार की बात करते हैं.
राज्यपाल कर रहे हैं राजनीति
वहीं, तृणमूल विधायकों ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि राज्यपाल राजनीतिक दृष्टिकोण अपना रहे थे. साल में एक बार दीक्षांत समारोह में जाएं. किसी और चीज में शामिल न हों. मुख्यमंत्री बहुत जल्दी निर्णय ले सकती हैं. आज हमें यही चाहिए. इसके बाद भाजपा विधायकों ने बिना मतदान में हिस्सा लिए विधानसभा से वाकआउट कर दिया.
जॉर्जिया विश्वविद्यालय की डिग्री झूठी
पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि जॉर्जिया विश्वविद्यालय की झूठी डिग्री के साथ, वह कुलाधिपति बन जाएगी? हमें विश्वास नहीं है. वह डॉक्टरेट क्यों नहीं लिख सकती हैं? हम राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि आपके पास तीन विकल्प हैं. बिल पर हस्ताक्षर करें, बिल वापस भेजें. यदि नहीं, तो इसे सुझावों के लिए केंद्र को भेजें. यह बिल फिर कभी पारित नहीं होगा. उदाहरण के लिए, बंगाल बिल कभी पारित नहीं होगा, जैसा कि विधान परिषद के मामले में हुआ था.
अब राज्यपाल पर निगाहें
बता दें कि विधानसभा में बिल पारित होने के बाद राज्यपाल के पास जाएगा. यदि राज्यपाल इस पर हस्ताक्षर करते हैं तो यह विधेयक कानून बन जाएगा. विधानसभा में बिल पास होने के बाद अब राज्यपाल क्या करते हैं, इस पर सबकी निगाहें हैं.
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