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विकास यात्रा के बाद 26 से भोपाल में दो दिन होगी भाजपा की बैठक

February 25, 2023

  • यात्रा के फीडबैक के साथ हारी हुई विधानसभा सीटों की रिपोर्ट पर भी चर्चा की संभावना, सभी अध्यक्षों को भोपाल बुलाया

भोपाल। भाजपा की विकास यात्रा आज समाप्त हो रही है और परसो यानि 26 फरवरी को ही भाजपा के प्रदेश संगठन ने सभी जिलाध्यक्षों को भोपाल बुला लिया है। इनसे विकास यात्रा का फीडबैक लिया जाएगा। इसके साथ ही संगठन प्रभारी भी बैठक में मौजूद रहेंगे, जिनसे पिछले चुनाव में हारी गई सीटों की रिपोर्ट मांगी थी। इस पर चर्चा होने की संभावना है। 5 फरवरी से चल रही विकास यात्राएं आज समाप्त होने जा रही है। इन यात्राओं के माध्यम से भाजपा के पार्षदों और विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को आम लोगों के बीच जाकर भुनाया और बताया कि भाजपा की सरकार ने कितने विकास कार्य किए। सभी वार्डों में निकली विकास यात्राओं की जानकारी नगर संगठन द्वारा एकत्र की जा रही है। 26 फरवरी से भोपाल में दो दिनी बैठक रखी गई है, जिसमें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल भी इस बैठक में शामिल होने वाले हैं। इस लिहाज से बैठक और भी महत्वपूर्ण है। सूत्रों के अनुसार बैठक में विकास यात्रा का फीडबैक लिया जाएगा। जिले और शहर के अध्यक्षों से इसकी जानकारी ली जाएगी। हालांकि प्रदेश संगठन ने पहले ही जानकारी ऑनलाइन मंगवा ली है। वहीं संगठन प्रभारियों को हारी हुई सीटों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया था। उनसे मिली रिपोर्ट पर भी बैठक में चर्चा की जाना है। इसके साथ ही बूथ सशक्तिकरण फेज 2 को लेकर रणनीति बनाई जाएगी, जिसमें बूथ प्रबंधन कैसे किया जाए, इस पर जिलाध्यक्षों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके साथ ही पन्ना प्रमुखों व पन्ना समितियों का सत्यापन व गठन पर भी रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा कुछ और मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा होने की संभावना है।



विधानसभा चुनाव में 30 सीटें बनेंगी निर्णायक
उपचुनाव की जिन विधानसभा सीटों ने 2020 में भाजपा को सत्ता के लिए जादुई आंकड़ा दिया था, वही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले के संकेत दे रहे हैं। यानी लगभग 30 ऐसी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कड़े मुकाबले के आसार हैं, जहां उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें ऐसी 25 सीटें हैं, जहां कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफा दिया और उपचुनाव में भाजपा के विधायक बनकर विधानसभा पहुंच गए। दरअसल, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक 34 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 25 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफा दिया और फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। यही सीटें अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बन गई हैं। कांग्रेस जहां इन सीटों को छीनने के लिए अभी से जी तोड़ कोशिश में जुट गई है, वहीं भाजपा के सामने संकट है कि उसके नए-पुराने कार्यकर्ताओं में अब तक दिली मेल-मिलाप नहीं हो पाया है। दोनों के बीच दूरी से संगठन भी परेशान है। इधर, मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने इन क्षेत्रों में अपने दौरे भी शुरू कर दिए हैं, जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं के मनमुटाव को सुलझाने में जुटी है। पुराने चेहरे को मौका या फिर नए पर ही दांव-वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके समर्थक विधायक भी भाजपा में आए थे, उन सभी चेहरों को पार्टी ने उनकी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में मौका दिया। ऐसे में स्थानीय स्तर पर भाजपा के पुराने चेहरे चुनावी परिदृश्य से बाहर हो गए। माना जा रहा था कि पार्टी ने पुराने चेहरों को 2023 में मौका देने या समायोजित करने का आश्वासन दिया होगा। ऐसे में बड़ी चुनौती है कि जीत की संभावनाओं के आधार पर किसे मौका दिया जाए? इसका प्रभाव स्थानीय से लेकर प्रदेश स्तर तक महसूस किया जाएगा। भाजपा की बड़ी चुनौती नए और पुराने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य की भी है। यदि मौजूदा विधायक को मौका दिया जाता है, तो पुराने चेहरे मायूस होंगे। पुराने चेहरों को फिर से मौका दिया, तो सिंधिया समर्थकों साथ तालमेल बिगडऩे का जोखिम बढ़ सकता है। इन समीकरणों पर कांग्रेस की पैनी नजर है। ऐसी सीटों पर कांग्रेस को नए सिरे से मजबूत चेहरे तैयार करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अपने विधायक जाने से कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की भी संख्या भी घटी है। कार्यकर्ता से लेकर नेता स्तर तक नई जमावट बेहद चुनौतीपूर्ण है। हालांकि कांग्रेस भाजपा पर भी नजर लगाए हुए है, जहां समीकरण को देखते हुए भाजपा के खिलाफ उसी की रणनीति का अनुसरण करते हुए वह दलबदल के माध्यम से लड़ाई को कठिन बना सकती है।

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