नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र में नई सरकार(New government) के गठन के बाद अब लोगों की निगाहें भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नए अध्यक्ष(New president) पर जा टिकी हैं। सियासी गलियारों(The political corridors) में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। जेपी नड्डा के मंत्री बनने के बाद से कई नेताओं के नाम भगवा पार्टी इस सर्वोच्च पद के लिए उछाले जा रहे हैं। उन्होंने अपना कार्यकाल भी पूरा कर लिया है। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इससे पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने की संभावना बढ़ गई है। इसकी प्रक्रिया कुछ ही दिनों में शुरू होने की संभावना है।
पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव तक कार्यकारी अध्यक्ष के मनोनयन पर भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा विचार किया जा रहा है। इस बात की प्रबल संभावना है कि भाजपा ओबीसी, दलित और महिलाओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने के बारे में फिर से सोच सकती है। सियासी हलकों में इस चर्चा है की जिस व्यक्ति की आरएसएस से गहरे संबंध होंगे उन्हें ही इस पद की जिम्मेदारी दी जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा की उस टिप्पणी से आरएसएस काफी नाराज है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा इतनी शक्तिशाली हो गई है कि आरएसएस के समर्थन के बिना भी काम चला सकती है।
जेपी नड्डा के तीन साल का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो गया था। लोकसभा चुनावों के कारण छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। वह अपने उत्तराधिकारी के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक पार्टी अध्यक्ष के रूप में बने रहेंगे। संगठन और सरकार में एक साथ काम करने वाले व्यक्ति पर कोई रोक नहीं है, लेकिन भाजपा में एक व्यक्ति-एक पद की नीति का पालन करना परंपरा रही है।
कैसे होता है राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव?
भजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इसमें राष्ट्रीय और राज्य परिषदों के सदस्य होते हैं। किसी राज्य के निर्वाचक मंडल के कोई भी 20 सदस्य किसी ऐसे व्यक्ति का प्रस्ताव कर सकते हैं, जो चार कार्यकालों तक सक्रिय सदस्य रहे हों और जिनकी सदस्यता 15 साल की हो। संयुक्त प्रस्ताव कम से कम पांच राज्यों से आना चाहिए, जहां राष्ट्रीय परिषद के लिए चुनाव पूरे हो चुके हों।
ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा द्वारा हाल के दिनों में महिलाओं पर दिए गए जोर को ध्यान में रखते हुए किसी महिला को पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी लगातार तीन जीत में महिला मतदाताओं की निर्णायक भूमिका को स्वीकार किया है। अभी तक किसी महिला ने भाजपा का नेतृत्व नहीं किया है।
भाजपा संगठन में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए व्यापक संपर्क अभियान की योजना बना रही है। महिला कोटा अधिनियम के अनुसार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। संभवतः 2029 के लोकसभा चुनाव तक इसे लागू किया जा सकता है।
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