नई दिल्ली (New Delhi) । कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka assembly election) की तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नजरें केरल पर भी जमी हुई हैं। खबर है कि पार्टी दक्षिण भारतीय राज्य में सियासी राह बनाने के लिए मुस्लिम और ईसाई समुदाय (Muslim and Christian communities) के बीच पहुंच बढ़ाने की तैयारी कर रही है। खास बात है कि साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा केरल (Kerala) में मौजूदगी दर्ज कराने में असफल रही थी।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा एक बड़े आउटरीच प्रोग्राम पर विचार कर रही है। जिसके तहत भाजपा कार्यकर्ता ईस्टर वीक के दौरान ईसाई परिवारों के घर पर पहुंचेंगे। खबर है कि 9 अप्रैल को मनाए जाने वाले ईस्टर सन्डे पर 10 हजार भाजपा कार्यकर्ता 1 लाख ईसाई परिवारों के घर जाएंगे। कहा जा रहा है कि बीते साल क्रिसमस वीक पर भी हजारों भाजपा कार्यकर्ता तोहफे लेकर ईसाई परिवारों से मिले थे।
इसके अलावा 15 अप्रैल को विशु पर्व पर ईसाई परिवारों को दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के घर आमंत्रित किया जाएगा। ईसाई समुदाय के साथ-साथ भाजपा मुसलमान परिवारों की ओर भी देख रही है। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी कार्यकर्ता अप्रैल के तीसरे सप्ताह में ईद के मौके पर मुसलमान परिवारों के घर जाएंगे।
भाजपा नेताओं का कहना है कि आम लोग इस पहल का स्वागत कर रहे हैं। साथ ही इसके कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ वाम दल और कांग्रेस की इस पर खास नजर बनी हुई है। कहा जा रहा है कि इस पहल की वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है। उन्होंने हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान केरल में अल्पसंख्यकों के लिए ‘स्नेह संवाद’ आयोजित करने के लिए कहा था।
पूर्वोत्तर राज्य में जीत दर्ज करने के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि केरल में पार्टी गठबंधन की सरकार बनाएगी। खास बात है कि केरल में एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी वाम और कांग्रेस ने त्रिपुरा में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन यह गठबंधन खास असर नहीं छोड़ पाया।
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