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    राम मय हुई भाजपा, लोकसभा चुनाव के मिशन को सफल बनाने की पूरी तैयारी, पीएम मोदी ने खुद संभालेंगे कमान

  • January 21, 2024

    नई दिल्‍ली (New Dehli)। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratistha)को लेकर पूरे देश को राम मय (Ram may)करने में जुटी भाजपा के लिए इसके राजनीतिक(political) निहितार्थ भी हैं। पार्टी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास (Party Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust)के सभी कार्यक्रमों में बिना झंडा व बैनर के बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर नेता व कार्यकर्ता इस अभियान में जुटे हैं। राजनीतिक रूप से भाजपा इससे उन क्षेत्रों तक भी पहुंच रही है, जहां वह बेहद कमजोर है। इसमें दक्षिण भारत सबसे अहम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौजूदा दक्षिण भारत के कार्यक्रम भी इसी का एक हिस्सा हैं।


    भाजपा ने इस पूरे अभियान से खुद को जोड़कर जहां विपक्ष के लिए तमाम दिक्कतें पैदा की हैं, वहीं अपना दायरा भी व्यापक किया है। यह उसके लोकसभा चुनाव के मिशन पचास फीसदी प्लस वोट के लिए बेहद अहम है। गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीती तीन जनवरी को सभी प्रदेशों के संगठन को पत्र लिखकर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कार्यक्रमों के लिए विशेष निर्देश दिए थे। इसमें सभी स्तरों पर हर मंदिर में 14 जनवरी से 22 जनवरी तक विशेष सफाई अभियान चलाने को कहा गया था। इसके लिए सभी सांसद, विधायक, पदाधिकारियों से अलग स्थानों पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के निर्देश दिए गए थे।

    पार्टी ने इस पूरे अभियान को समाज से जोड़ कर रखा है और कहीं भी अपने झंडे व बैनर का इस्तेमाल नहीं किया है। प्राण प्रतिष्ठा के दिन अयोध्या में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व रहेगा। अन्य सभी नेता जिनमें केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री, सांसद विधायक, पदाधिकारी शामिल हैं, अपने-अपने क्षेत्रों में विभिन्न मंदिरों में सीधा प्रसारण देखेंगे और विशेष आरती में शामिल होंगे। साथ ही शाम में दीपोत्सव में शामिल होंगे।

    सांसद व विधायक अपने क्षेत्रों में रहेंगे

    भाजपा के सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में रहेंगे। पार्टी के 93 राज्यसभा सांसदों को अपने ही राज्य में कार्यक्रमों में शामिल होने को कहा गया है। कुछ राज्यसभा सांसद दूसरे राज्यों में भी प्रमुख स्थानों पर रहेंगे। पार्टी के 1435 विधायक देशभर में है, वह भी अपने क्षेत्रों में रहेंगे। भाजपा ने संघ व अन्य संगठनों के साथ सबसे पहले अयोध्या से आए अक्षत व राम मंदिर के फोटो के साथ घर-घर जाकर लोगों को न्योता दिया। अब प्राण प्रतिष्ठा के दिन नजदीकी मंदिर में लोगों को बुलाया जा रहा है। पार्टी के सांसद व विधायक सोशल मीडिया, सीधे संपर्क व विभिन्न समूहों के साथ बैठकों में लोगों से संवाद कर रहे हैं। सांसद व विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में ही रहने को कहा गया है। बाद में वह अपने क्षेत्र के लोगों को राम लला के दर्शन के लिए अयोध्या लाने के लिए व्यवस्था में सहयोग करेंगे। इन कार्यक्रमों का संयोजन प्रदेश व जिला स्तर पर संगठन के जरिए किया जा रहा है।

    पालमपुर से शुरु हुआ था सफर

    भाजपा के राजनीतिक उभार में अयोध्या व राम मंदिर का सबसे अहम स्थान है। 1984 में दो सीटों पर सिमट गई भाजपा ने 1989 में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (9 से 11 जून) में अयोध्या में भव्य राम मंदिर को अपने प्रस्ताव में शामिल किया। इसके बाद विहिप के राम शिला पूजन में पार्टी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके परिणाम यह हुआ कि 22 व 26 नवंबर को हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा दो से 88 सीटों पर पहुंच गई। इससे उत्साहित भाजपा ने 1990 में तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के आह्वान के साथ सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा शुरू की थी। जिसमें आडवाणी के सारथी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। इसके बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह लगातार राम मंदिर की राजनीतिक लड़ाई लड़ती रही।

    कमंडल बनाम मंडल

    1991 में भाजपा की इस कमंडल रणनीति को विपक्ष के एक बड़े समूह ने मंडल (पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए बने आयोग की सिफारिशें) से चुनौती दी और राजनीति को मंडल बनाम कमंडल में बदल दिया। 1991 का चुनाव इसका पहला मुकाबला था। भाजपा कमजोर नहीं पड़ी और मंडल की राजनीति भी बढ़ी। दूसरी तरफ, भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर को लेकर बड़ा सामाजिक अभियान खड़ा कर दिया है। इसमें उसके नेतृत्व की अहम भूमिका रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अपनी रणनीति से न केवल पिछड़ा वर्ग को साधा है, बल्कि राम मंदिर के स्वप्न को भी साकार किया है।

    मोदी का मिशन दक्षिण

    मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूरे देश को जोड़ा है। खासकर दक्षिण भारत को। वह 14 जनवरी से 22 जनवरी के बीच में दक्षिण के हर प्रमुख मंदिर में गए है। प्राण प्रतिष्ठा के यजमान मोदी ने विभिन्न मंदिरों में यह पूजा अर्चना अपने कठिन अनुष्ठान के नियमों का पालन करते हुए की है। दक्षिण के इस अभियान में मोदी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु के मंदिरों में दर्शन व पूजा की है। इनमें वीरभद्र मंदिर, गरुवायूर मंदिर, रंगनाथ स्वामी मंदिर शामिल हैं।

    विपक्ष का संकट एकता व विश्वसनीयता

    इस समय भी मंडलवादी ताकतें हैं, लेकिन एकता के अभाव में बिखरी हैं और विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है। अब मोदी ने विपक्ष के मंडल का एक बड़ा हिस्सा अपने साथ जोड़ा है और राम मंदिर को लेकर उनकी अलख जारी है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले सामाजिक रूप से भाजपा की बढ़त के आसार बनते जा रहे हैं। भाजपा ने लोकसभा की दृष्टि से उत्तर, मध्य व पश्चिम भारत में अपना दबदबा बनाया हुआ है। दक्षिण भारत कोरोमंडल क्षेत्र उससे अभी दूर है।

    बड़े मिशन के लिए बड़ी तैयारी

    मोदी के मिशन में दक्षिण की 131 लोकसभा सीटें अहम हैं। अभी उसके पास इनमें से 29 सीटें हैं। इस बार वह यहां से 50 प्लस का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में मोदी का मौजूदा दक्षिण अभियान काफी बदलाव भी ला सकता है। साथ ही वह बाकी भारत में भाजपा को और मजबूत कर सकता है। भाजपा ने पिछली बार 303 सीटें जीती थी और इस बार उसकी सोच में 400 का आंकड़ा है। ऐसे में काम के साथ राम का भी उसे लाभ मिल सकता है।

    भाजपा ऐसे कर रही है कोशिश

    विपक्षी एकता का सबसे ज्यादा असर इसकी एकता व सामाजिक रणनीति पर निर्भर है। जाति जनगणना उसका एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि, मोदी ने राम मंदिर से इसे मुद्दे की धार को कुंद करने की कोशिश की है। अगर भाजपा दक्षिण (कर्नाटक के अलावा अन्य राज्य) में घुसने में कामयाब रहती है तो इससे कांग्रेस व विपक्ष के क्षेत्रीय दलों के लिए नुकसान की स्थिति बन सकती है।

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