नई दिल्ली (New Delhi) । कर्नाटक (Karnataka) में भाजपा (BJP) द्वारा लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) के लिए जेडीएस (JDS) के साथ गठबंधन (alliance) करने और जेडीएस की तरफ से भी इसकी जरूरत बताए जाने के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। विधानसभा चुनावों (assembly elections) में कांग्रेस (Congress) को मिली बड़ी सफलता और भाजपा व जेडीएस को लगे झटके के बाद यह नजदीकी सामने आई है। हालांकि, अभी राज्य में लोकसभा की 28 सीटों में से भाजपा के पास 25 सीटें हैं।
दक्षिण भारत में अपने इस एकमात्र मजबूत राज्य में बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा ने एक कदम पीछे जाकर आगे बढ़ने की राणनीति पर काम शुरू किया है। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 में से 25 सीटें जीत कर विपक्ष का सफाया कर दिया था। जेडीएस को एक, कांग्रेस को एक व निर्दलीय को एक सीट मिली थी। बाद में जेडीएस के उम्मीदवार का चुनाव भी रद्द हो गया था। लेकिन इस साल हुए विधानसभा चुनाव ने राज्य की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया है।
राज्य के सामाजिक समीकरणों में भाजपा व जेडीएस दोनों को करारा झटका लगा है। भाजपा का मजबूत समर्थक माने जाने वाला राज्य का सबसे बड़ा लिंगायत समुदाय का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के साथ है। इसी तरह वोक्कालिगा समुदाय के भी बड़े हिस्से ने जेडीएस का साथ छोड़कर कांग्रेस का साथ दिया है। ऐसे में भाजपा व जेडीएस दोनों की सामाजिक पकड़ काफी कमजोर हुई है, जिससे लोकसभा चुनावों में काफी असर पड़ सकता है।
भावी स्थितियों को देखकर भाजपा व जेडीएस दोनों काफी करीब आते दिख रहे हैं। भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने तो अपनी तरफ से जेडीएस के साथ गठबंधन की घोषणा भी कर दी है। उन्होंने जेडीएस को चार लोकसभा सीटें देने की बात कही है। इसके बाद जेडीएस ने भी इस तरह के गठबंधन की जरूरत बताई है। जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि अभी बात चल रही है, सीटों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है। लेकिन कांग्रेस जिस तरह से राज्य को लूट रही है, उससे लोगों को बचाने के लिए दोनों को साथ आना चाहिए।
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