नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच अभी तक सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है. हालांकि शिवसेना और सहयोगी संगठन पूरी तरह से इस सियासी घमासान के पीछे बीजेपी का ही हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं. जिस तरह से शिव सेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे और दूसरे बागी विधायकों को बीजेपी शासित राज्यों गुजरात और असम में रखा गया, उससे महाविकास अघाड़ी के नेता लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के नेता खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं और वो इस पूरे घमासान को शिव सेना का अंदरूनी मामला बता रहे हैं.
बीजेपी की इस चुप्पी के पीछे नाम नहीं बताने की शर्त पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि जब तक पूरी तरह से पुष्टि न हो जाए कि बागी विधायक पूरी तरह से एकनाथ शिंदे के साथ हैं और ये सब कुछ ऑन-रिकॉर्ड न आ जाए, तब बीजेपी आगे नहीं बढ़ेगी. बीजेपी एक-एक कदम फूंक-फूंक कर चल रही है. जिससे पहले की तरह उसकी छीछालेदर न हो जाए. इस बार भी दो विधायक कैलाश पाटिल और नितिन देशमुख बागी होने के बाद जिस तरह से वापिस गए, उससे ही बीजेपी नेता आशंकित हैं. बाद में ये संख्या और न बढ़ जाए, इसलिए शिंदे की तरफ से कोशिश की जा रही है. साथ ही वे और बागी विधायकों की संख्या बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर शिवसेना की तरफ से भी ये दावा किया जा रहा है कि जो बागी विधायक शिंदे खेमे में गए हैं, उनमें से 10 से 12 विधायक उनके संपर्क में हैं. वो समय आने पर विश्वास मत के दौरान उद्धव ठाकरे का ही साथ देंगे. अपने पिछले अनुभव को देखते हुए बीजेपी अभी जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती है. इसलिए बीजेपी वेट एंड वॉच की रणनीति पर काम कर रही है. हालांकि बीजेपी का नेतृत्व लगातार इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस लगातार दिल्ली के निर्देशों पर रणनीति बना रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक बृहस्पतिवार शाम को देवेन्द्र फडणवीस गृहमंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली भी गए थे और मिलकर देर रात तक वापिस मुंबई भी आ गए.
जबकि बीजेपी के नेता इस मीटिंग पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि इस मीटिंग के बाद ही एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर और राज्यपाल को 37 शिवसेना विधायकों के हस्ताक्षरों के साथ पत्र भेजा और खुद को नेता चुनने की बात कही थी. लेकिन डिप्टी स्पीकर NCP से हैं, इसलिए वहां भी बीजेपी के नेता आशंकित हैं. अब ये सियासी लड़ाई सत्ता के साथ साथ असली शिवसेना पार्टी पर कब्जे की तरफ जाते हुए भी दिखाई दे रही है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक बीजेपी इस लड़ाई में तभी सामने आएगी, जब उसको सरकार बनने का भरोसा पूरी तरह से हो जाएगा. इसलिए बीजेपी दुर्घटना से देर भली वाली रणनीति पर चलते हुए धीरे-धीरे काम कर रही है.
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