भोपाल: मध्य प्रदेश में ‘मिशन छिंदवाड़ा’ की राजनीतिक लड़ाई को बीजेपी ने तेज कर दिया है. कांग्रेस दिग्गज कमलनाथ के अभेद्य किले यानी छिंदवाड़ा पर फतह के लिए बीजेपी ने दूसरे चरण की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसे बीजेपी का अमेठी प्लान भी कहा जा रहा है. इसकी शुरुआत सोमवार को विंध्य की धरती रीवा से हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए सीधे कमलनाथ पर आक्रमण किया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि बीजेपी की योजना कमलनाथ के विकास मॉडल को ध्वस्त करते हुए डबल इंजन की सरकार यानी मोदी-शिवराज की जोड़ी को प्रचारित करने की है.
सबसे पहले जानते हैं कि पीएम मोदी ने बीजेपी के ‘मिशन छिन्दवाड़ा’ के लिए क्या संदेश दिया है. उन्होंने कहा, “मैं कई बार सोचता हूं कि छिंदवाड़ा के जिन लोगों पर आपने लंबे समय तक भरोसा किया, वो आपके विकास को लेकर, इस क्षेत्र के विकास को लेकर इतना उदासीन क्यों रहे? इसका जवाब, कुछ राजनीतिक दलों की सोच में है. आजादी के बाद जिस दल ने सबसे ज्यादा समय तक सरकार चलाई, उसने ही हमारे गांवों का भरोसा तोड़ दिया. गांव में रहने वाले लोग, गांव के स्कूल, गांव की सड़कें, गांव की बिजली, गांव में भंडारण के स्थान, गांव की अर्थव्यवस्था, कांग्रेस शासन के दौरान सबको सरकारी प्राथमिकताओं में सबसे निचले पायदान पर रखा गया.”
जानें बीजेपी के लिए ‘छिंदवाड़ा विजय’ क्यों जरूरी?
बीजेपी के ‘मिशन छिंदवाड़ा’ या ‘छिंदवाड़ा विजय’ के फॉर्मूले को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं. रीवा में राष्ट्रीय पंचायतीराज सम्मेलन में अपने भाषण में कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल पर कटाक्ष करने के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी भी दिखाई. इन तीनों ट्रेनों का ताल्लुक सीधे छिंदवाड़ा से है. इसमें से रीवा-इतवारी के बीच एक ट्रेन हफ्ते में चार दिन व्याया छिन्दवाड़ा होकर चलेगी. इसके साथ ही छिंदवाड़ा-नैनपुर के बीच भी 2 ट्रेन सर्विस शुरू की गई है. यहां तक की केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन छिन्दवाड़ा जिले में छिन्दवाड़ा-नैनपुर ट्रेन को हरी झंडी दिखाने मौजूद रहे. इसे बीजेपी का कमलनाथ के विकास मॉडल के ऊपर अपने विकास मॉडल को स्थापित करने का प्रयास माना जा रहा है.
अब जानते हैं कि बीजेपी के लिए ‘छिंदवाड़ा विजय’ क्यों जरूरी है. पिछले 12 लोकसभा चुनाव में से 11 बार कमलनाथ या उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य छिंदवाड़ा से सांसद चुना गया है. 9 बार तो कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से विजयी हुए हैं. कमलनाथ यहां से सिर्फ एक बार लोकसभा का चुनाव बीजेपी के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा से हारे थे. एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ छिंदवाड़ा से सांसद थी,जबकि वर्तमान में यह सीट नकुल नाथ के खाते में है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने जो एकमात्र लोकसभा सीट जीती थी, वह छिंदवाड़ा है.नकुल नाथ पीसीसी चीफ कमलनाथ के पुत्र है.
छिंदवाड़ा महापौर के साथ 7 निकाय पर कांग्रेस काबिज
साल 2018 के चुनाव में छिंदवाड़ा की सभी 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था, जो यह बताता है कि कमलनाथ की इस जिले में क्या हैसियत है? हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव में भी छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने बाजी मार ली. छिंदवाड़ा महापौर के साथ 7 निकाय पर कांग्रेस काबिज हो गई है. छिंदवाड़ा में कांग्रेस हो कमलनाथ की इस जीत को बीजेपी पचा नहीं पा रही है.
यहां बताते चले कि कमलनाथ ने पिछला विधानसभा चुनाव विकास के ‘छिंदवाड़ा मॉडल’ पर लड़ा था. इसके बाद उन्होंने 15 साल बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाई थी. बस इसी वजह से बीजेपी की इस बार कमलनाथ और छिंदवाड़ा से दो-दो हाथ करने की तैयारी है. बीजेपी अब यह मिथक तोड़ना चाहती है कि ‘छिंदवाड़ा विजय’ उसके लिए किसी सपने से कम नहीं है?
गिरिराज सिंह के पास छिंदवाड़ा विजय की जिम्मेदारी
दरअसल, छिंदवाड़ा को जिताने का जिम्मा बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को दिया है. बीजेपी ने छिंदवाड़ा फतेह के लिए अमेठी प्लान तैयार किया है.जिस तरह से स्मृति ईरानी को अमेठी में सक्रिय करके बीजेपी ने कांग्रेस दिग्गज विगत राहुल गांधी को पटखनी दी थी, वैसे ही कोशिश इस बार छिंदवाड़ा के लिए की जा रही है. पिछले कुछ समय से गिरिराज सिंह लगातार छिंदवाड़ा का दौरा करते हुए कमलनाथ पर निशाना साध रहे हैं.
गिरिराज सिंह की सक्रियता को देखते हुए एक संभावना यह भी है कि बीजेपी यहां कमलनाथ के मुकाबले उन्हें चुनाव मैदान में उतार सकती है.हिंदूवादी नेता की छवि वाले गिरिराज सिंह के लिए यह चुनाव हिमालय फतह से कम नहीं होगा. विधानसभा चुनाव के लिहाज से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ‘छिंदवाड़ा विजय’ के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा रहे हैं.
छिंदवाड़ा सीट से नकुल नाथ को टिकट?
वहीं, बात करें कमलनाथ की तैयारियों की तो उनके फैसले भी चौंकाने वाले हो सकते हैं. कमलनाथ के करीबी सूत्र कह रहे हैं कि पीसीसी चीफ कमलनाथ शायद अगला विधानसभा का चुनाव न लड़ें. उन्होंने इसके लिए ‘नो कैंडिडेट’ प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत छिंदवाड़ा सीट से नकुल नाथ को विधानसभा की टिकट देने की चर्चा चल रही है. कहा जा रहा है कि अगर मध्य प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है तो नकुल नाथ से इस्तीफा दिलवा कर कमलनाथ उपचुनाव में छिंदवाड़ा विधानसभा से प्रत्याशी बन जाएंगे.
अगर किसी वजह से नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं आती है तो कमलनाथ 2024 में छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव लड़ कर दिल्ली की राजनीति में लौट जाएंगे. कमलनाथ के विधानसभा चुनाव ना लड़ने के पीछे तर्क दिया जाएगा कि वह पूरे मध्य प्रदेश पर अपना फोकस करने के लिए फिलहाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेरना मुश्किल?
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि इस बार छिंदवाड़ा की लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है. बीजेपी ‘छिंदवाड़ा विजय’ के लिए साम-दाम-दंड-भेद अपना सकती है, लेकिन यहां कमलनाथ की छवि फिलहाल बीजेपी पर भारी पड़ती दिख रही है. तभी कमलनाथ कह रहे हैं कि उन्हें अकेले छिंदवाड़ा में नहीं घेरा जा सकता. बीजेपी को उन्हें घेरने के लिए पूरे मध्य प्रदेश में जोर लगाना पड़ेगा.
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